लेटलतीफी से बचने के लिए आधिकारिक तौर पर, रेलवे ने बढ़ाया 300 ट्रेनों का रनिंग टाइम

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ट्रैन के लेट चलने से यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था | इससे बचने के लिए भारतीय रेल ने करीब 300 ट्रेनों के रन टाइम को आधिकारिक तौर पर बढ़ा दिया है, लेकिन इसके लिए रेल बोर्ड से कोई अनुमति अभी तक नहीं ली गई है, उत्तर रेलवे ने अपनी 95, दक्षिण रेलवे ने 92 जबकि पूर्व मध्य रेलवे ने 88 ट्रेनों का रन टाइम बढ़ा दिया है, यह समय 15 मिनट से लेकर एक घंटे तक बढ़ाया गया है, जो ट्रेनों के अंतिम स्टेशन पर पहुंचने का नया समय होगा. ट्रेनों के रन टाइम बढ़ाने वाले जोन का दावा है कि इसके लिए रेल मंत्री से बात कर अनुमति ली गई है |

 

उत्तर रेलवे ने 95 ट्रेनों का आगमन समय बढ़ा दिया है, जिससे इन ट्रेनों का रनिंग टाइम बढ़ गया है, उत्तर रेलवे ने 12 जुलाई से इन ट्रेनों का आगमन समय 15 से लेकर 60 मिनट तक बढ़ाया है |

 

हालांकि रेलवे अधिकारियों ने इस फैसले के पीछे यह दावा किया है कि इससे रेलवे के यात्रियों को ट्रेनों के सही समय के आगमन का पता चलता रहेगा और इसी के साथ यह भी कहा गया कि यह व्यवस्था कुछ समय के लिए की गई है, क्योंकि रेलवे ट्रैक पर जगह-जगह मेंटेनेंस का काम चल रहा है, इस वजह से ट्रेनों के आगमन में देरी हो रही है. लिहाजा ट्रेनों के रनिंग टाइम में मेंटेनेंस के ब्लॉक को भी ध्यान में रखा गया है |

 

ट्रेनों के आगमन समय में बढ़ोतरी का फैसला उत्तर रेलवे ने 12 जुलाई से ही लागू कर दिया है, उदाहरण के तौर पर ट्रेन नंबर 14041 दिल्ली-देहरादून दिल्ली-मसूरी एक्सप्रेस, ट्रेन नंबर 14096 हिमालयन क्वीन एक्सप्रेस, ट्रेन नंबर 13119 सियालदह आनंद विहार टर्मिनल एक्सप्रेस, ट्रेन नंबर 14022 सीकर दिल्ली सराय रोहिल्ला एक्सप्रेस, ट्रेन नंबर 14218 प्रयाग चंडीगढ़ ऊंचाहार एक्सप्रेस और ट्रेन नंबर 15903 डिब्रूगढ़ चंडीगढ़ एक्सप्रेस के आगमन समय में 45 मिनट की देरी की गई है |

 

इसी तरह से दूसरी अन्य ट्रेनों के आगमन समय में भी बदलाव किया गया है | ट्रेनों की लेटलतीफी की सबसे ज्यादा समस्या उत्तर रेलवे, दक्षिण रेलवे और पूर्व मध्य रेलवे में है. लिहाजा उत्तर रेलवे ने तकरीबन 95 ट्रेनों, दक्षिण रेलवे ने 92 और पूर्व मध्य रेलवे ने 90 ट्रेनों का रनिंग टाइम बढ़ाया है |

 

इसके अलावा देश के अन्य रेलवे जोनों ने भी इसी तरह से कई गाड़ियों के आगमन समय को बढ़ाकर लेटलतीफी को कम करने की कोशिश की है, लेकिन सवाल यह उठता है कि इस तरह की कोशिशों से समस्या का फौरी निदान होता हुआ तो दिखेगा, लेकिन लोगों की परेशानी जस की तस रहेगी |