वीडियोकॉन मामले में CEO चंदा कोचर पर, सेबी लगा सकता है 1 करोड़ का जुर्माना

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कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी ने आइसीआइसीआइ बैंक और उसकी सीईओ चंदा कोचर के खिलाफ शुरुआती जांच के बाद कहा है कि वह इस मामले में न्यायिक कार्यवाही के पक्ष में है। वह वीडियोकॉन ग्रुप को कर्ज दिए जाने के मामले में हितों के टकराव के मामले की जांच कर रहा है।

 

सेबी ने अपनी प्रथम दृष्टया जांच में पाया है कि चंदा कोचर ने अपने पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के बीच हुई डील की जानकारी न देकर नियमों का उल्लंघन किया है, ऐसे में सेबी उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू करने का समर्थन कर सकता है |

 

 

एक वरिष्ठ अध‍िकारी ने बताया कि सेबी जल्द आईसीआईसीआई बैंक और चंदा कोचर के ख‍िलाफ कार्यवाही को लेकर कोई फैसला ले सकता है, इसके लिए सेबी कारण बताओ नोटिस के जवाब का इंतजार कर रहा है, माना जा रहा है कि जैसे ही बैंक की तरफ से जवाब आ जाएगा, कार्यवाही शुरू की जा सकती है |

 

 

आईसीआईसीआई बैंक के प्रवक्ता ने बताया कि बैंक और उनके एमडी को कारण बताओ नोटिस मिला है, इसमें उनसे पूछा गया है कि आख‍िर इस मामले में बैंक के ख‍िलाफ सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेग्युलेशन) रूल्स के तहत कार्यवाही क्यों न की जाए? प्रवक्ता ने बताया कि जल्द ही इस नोटिस का जवाब दिया जाएगा |

सेबी की जांच में चंदा कोचर ने माना है कि उनके पति दीपक की कंपनी न्यूपावर रिन्युएबल्स और वीडियोकॉन ग्रुप के बीच पिछले वर्षों में कई लेनदेन हुए। दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत न्यूपावर रिन्यूएबल्स के संस्थापक थे। जून 2009 में धूत और पैसिफिक कैपिटल के शेयर सुप्रीम एनर्जी को बेच दिए गए। पैसिफिक कैपिटल कंपनी दीपक कोचर के पिता के नाम है। वेणुगोपाल धूत ने फिर न्यूपावर में डिबेंचर के जरिए 64 करोड़ रुपए का निवेश किया। यह डिबेंचर उन्होंने सुप्रीम एनर्जी से खरीदा।

 

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दीपक कोचर की कंपनी में कुछ निवेश मॉरीशस के रास्ते भी आया था। इसलिए भारतीय जांच एजेंसियां वहां से जानकारी जुटा रही हैं। आरोपों के मुताबिक मॉरीशस की कंपनी फर्स्टलैंड होल्डिंग्स ने न्यूपावर में 325 करोड़ रुपए का निवेश किया। फर्स्टलैंड एस्सार ग्रुप के सह-संस्थापक रवि रुइया के दामाद निशांत कनोडिया की कंपनी है। व्हिसलब्लोअर अरविंद गुप्ता का आरोप है कि बदले में बैंक ने एस्सार को कर्ज दिए हैं। एस्सार ग्रुप ने आरोपों से इनकार किया है। इसका कहना है कि फर्स्टलैंड होल्डिंग्स से इसका कोई लेनादेना नहीं है।

 

 

पिछले दिनों ऐसी खबरें आई थीं कि एडजुडिकेशन प्रोसीडिंग्स की लंबी कार्रवाई से बचने के लिए आईसीआईसीआई बैंक सेबी के पास ‘कंसेंट एप्लिकेशन’ दायर कर सकता है। इसमें कुछ जुर्माना देकर केस बंद हो जाएगा और बैंक को यह भी नहीं मानना पड़ेगा कि उसने कोई गलती की है। एडजुडिकेशन प्रोसेस की सिफारिश से बैंक के लिए यह रास्ता बंद होता लग रहा है। इस प्रोसेस में अब अर्ध-न्यायिक जांच की जाएगी और जुर्माना लगाया जाएगा।

 

 

सेबी की जांच शुरू होने के बाद बैंक के बोर्ड ने भी स्वतंत्र जांच कराने की घोषणा की थी। बैंक ने इसका जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण को सौंपा है। पिछले हफ्ते बैंक ने स्टॉक एक्सचेंज को दी फाइलिंग में बताया था कि चंदा कोचर एमडी और सीईओ पद पर बनी रहेंगी, लेकिन जांच पूरी होने तक वह छुट्टी पर रहेंगी। बैंक का कामकाज देखने के लिए आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इंश्योरेंस के सीईओ संदीप बख्शी को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) बनाया गया है।