शनि जयंती पर काली वस्तुओं का करें दान : राजकुमार

सुरेंद्र मलनिया
रीडर टाइम्स न्यूज़
बागपत / वट अमावस्या सोमवती अमावस्या व शनि जयंती पर इस बार महासंयोग बन रहा है , ऐसा विशेष संयोग जीवन मे कभी- कभी ही आता है। ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री ने बताया कि यह संयोग 30 मई दिन सोमवार को बन रहा है। इस दिन सर्वाथसिद्ध योग भी बन रहा है। अमावस्या का प्रवेश 29 मई को शाम 2 बजकर 56 मिनट पर होगा जोकि 30 मई को शाम 5 बजे तक रहेगा। सर्वाथसिद्ध योग सुबह 7 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होगा। इस योग मे किया गया कार्य उत्तम फल देता है। वट अमावस्या मे वट वृक्ष की पूजा करके सुहागिन स्त्री अखंड सौभाग्य की कामना करती है। वटवृक्ष की ही पूजा इस दिन क्यों की जाती है तो इसका धार्मिक महत्व यह है कि वटवृक्ष के नीचे ही सावित्री ने यमराज से अपना सौभाग्य पाया था। इसके अलावा वटवृक्ष की शाखाए चारों तरफ फैली हुई होती है। इसमें ब्रह्म , विष्णु व महेश का वास होता है। इन शाखाओं से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। कभी भी टहनी की पूजा नही करनी चाहिए। वृक्ष की ही पूजा करनी चाहिए। टहनी तोड़ने से वटवृक्ष का अपमान होता है , कदापि ऐसा न करें। इस दिन सोमवती अमावस्या और शनि जयंती पर पीपल वृक्ष की पूजा का विधान बताया गया है। सोमवती अमावस्या का शास्त्रो मे विस्तार से वर्णन किया गया है। सोमवती अमावस्या को गंगा यमुना आदि पवित्र नदियों में स्नान करके दान पुण्य करने से सात जन्मों के पापों का विनाश होता है। शनि जयंती मे शनि महाराज की पूजा विधि विधान से करने से शारीरिक, आर्थिक मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। शनि जयंती मे तुलादान का विशेष महत्व होता है। इस तुलादान करने से कर्ज रोग से मुक्ति मिलती है। तुलादान में अपने बराबर का अनाज तेल आदि संकल्प करके डकौत को देना चाहिए। इसदिन पीपल पर आटे से निर्मित सात दीपक सरसों के तेल के जलाने से दरिद्रता दूर होती है, स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। ऐसा संयोग जीवन में कभी-कभी ही आता है।