शहीद औरंगजेब के परिजनों से मिलने पहुंची रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, कहा-ये परिवार राष्ट्र के लिए प्रेरणा है

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शहीद राइफलमैन औरंगजेब के परिजनों से मिलने के लिए बुधवार को रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण जम्मू-कश्मीर के मेंढर तहसील के सलानी गांव पहुंची हैं। इस दौरान रक्षामंत्री ने औरंगजेब के पिता मोहम्मद हनीफ और भाई से बात की। निर्मला ने काफी देर तक औरंगजेब के पिता से बात की। शहीद औरंगजेब के परिवार से मिलने के बाद निर्मला सीतारमण ने कहा कि आज मैंने औरंगजेब के परिवार के साथ समय बिताया, ये परिवार पूरे देश के लिए प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि एक संदेश जो मैं यहां से वापस ले जा रहा हूं वह यह है कि यहां एक शहीद का परिवार है, जो पूरे देश के लिए प्रेरणा के रूप में खड़ा है।

 

शहीद औरंगजेब के परिवार से मिलने के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैं शहीद के परिवार से मिलने आई, मैंने यहां कुछ समय बिताए. एक संदेश जो मैं यहां से वापस ले सकती हूं वह यह है कि यहां एक परिवार है, यहां एक शहीद है, जो पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणा के रूप में खड़ा है |

 

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बता दें कि रक्षा मंत्री दिल्ली से साढ़े आठ बजे उड़ान भरी. बताया जा रहा है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण परिवार से मिलने के बाद बाद जम्मू में सेना के अधिकारियों के साथ मीटिंग करेंगी, इससे पहले सोमवार को सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत शहीद औरंगजेब के घर गये थे |

 

टिप्पणियां गौरतलब है कि 14 जून को आतंकियों ने औरंगजेब को शोपिया के पास अगवा कर मार डाला था. सेना के आतंक विरोधी अभियान राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात औरंगजेब से आतंकी इस बात से खफा थे कि वो क्यों सेना के आतंक विरोधी कार्रवाई मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता हैं. आपको बता दे कि औरंगजेब इसी साल 30 अप्रैल को आतंकी संगठन हिज्बुल के पुलवामा कमांडर समीर टाइगर के मारे जाने वाले सेना के टीम के अहम हिस्सा थे | दरअसल इस पूरे घटनाक्रम की शुरूआत नवंबर 2017 से हुई। जब सोशल मीडिया पर समीर टाइगर की अमेरिकी राइफल एम-4 कार्बाइन के साथ एक तस्वीर वायरल हुई। तस्वीर देख कर कश्मीर के साथ पूरे देश की सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए।

 

 

सवाल उठा कि जिस बंदूक का इस्तेमाल अमेरिका की नाटो और पाक की स्पेशल फोर्स करती हैं वो कश्मीर में कैसे आ गई? मामले की जांच के बाद यह बात सामने आई कि यह बंदूक पाकिस्तान के रास्ते कश्मीर में आई है। इसे वहां से लाने वाला और कोई नहीं खुद जैश चीफ मसूद अजहर का भतीजा और खूंखार आतंकी तल्हा रशीद है। सुरक्षा एजेंसियां लगातार राइफल एम-4 कार्बाइन की तलाश में थीं। इसी बीच पिछले साल सात नवंबर को इनपुट मिले कि तल्हा अपने दो साथियों के साथ पुलवामा में मौजूद है। जिसके बाद उसे ढेर करने का जिम्मा सेना की 44 आरआर को सौंपा गया जिसका शूटर औरंगजेब था।

 

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सूत्रों की मानें तो उस ऑपरेशन को मेजर शुक्ला ने ही लीड किया था। हालांकि सेना के साथ इस ऑपरेशन में एसओजी और सीआरपीएफ भी शामिल थी। आधी रात को अंधेरे में शुरू हुए इस एनकाउंटर में तीनों आतंकियों को जवानों ने मार गिराया और वह कार्बाइन भी बरामद कर ली। तल्हा कश्मीर घाटी में जैश का कमांडर था। उसके साथ दो और आतंकी मारे गए थे उनकी पहचान मोहम्मद भाई और वसीम के तौर पर हुई थी। मोहम्मद भाई जैश का डिवीजनल कमांडर था, जो पाक का रहने वाला था। जबकि वसीम पुलवामा के द्रुबगाम का रहने वाला था।

 

 

उस मुठभेड़ में तल्हा के चेहरे पर भी गोली लगी थी। जिसके बाद से ही मसूद अजहर बौखलाया हुआ था। जिसके बाद उसने सेना के जवानों से बदला लेने की साजिश रची। औरंगजेब के पिता और जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के पूर्व सिपाही मोहम्मद हनीफ ने कहा, ‘‘मेरे बेटे ने देश के लिए अपना प्राण न्यौछावर किया, वह बहादुर जवान था. मैं और मेरे बेटे भी देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार हैं | औरंगजेब के चार भाइयों में सबसे छोटे 15 वर्षीय आसिम अपने भाई की हत्या से टूटे नहीं हैं और वह अपने बड़े भाई की तरह ही सेना में शामिल होना चाहते हैं |

 

 

औरंगजेब को जब अगवा किया गया उस वक्त आसिम उनसे फोन पर बात कर रहे थे.असिम ने कहा, ‘‘मेरा भाई निजी गाड़ी से पुंछ आ रहा था, वह मुझसे बात कर रहे थे. मैंने गाड़ी रूकवाने की आवाज सुनी. मुझे लगा कि कुछ जांच हो रही है, मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि मेरे निहत्थे भाई को आतंकियों ने अगवा कर लिया है |