स्पेशल डे : बॉलीवुड की ‘ट्रेजेडी क्वीन’ के 85वें जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर किया याद

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बॉलीवुड में ‘ट्रेजेडी क्वीन’ नाम से प्रसिद्ध बॉलीवुड एक्ट्रेस मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1932 को हुआ था। मशहूर अदाकारा मीना कुमारी को उनके 85वें जन्मदिन पर आज गूगल ने डूडल बनाकर याद किया। मीना का असली नाम महजबीन बेगम था। मीना कुमारी की फिल्म इंडस्ट्री में ऐसी इमेज थी कि एक्टर राजकुमार उन्हें देखकर अपने डायलॉग भूल जाते थे। मधुबाला उनकी जबरदस्त फैन थी। अमिताभ बच्चन मानते हैं कि जिस अंदाज में मीना कुमारी डायलॉग बोलती हैं, उस अंदाज में दूसरा कोई नहीं बोल सकता।

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उनकी अदाकारी ऐसी थी कि वो जो भी किरदार निभाती थी उसमे जान आ जाती थी । मीना कुमारी बला की खूबसूरत थीं। हर कलाकार उनके साथ काम करने को बेकरार रहता था। अपने समय के हर हीरो के साथ मीना ने फिल्में की थीं। मीना कुमारी के जन्म के समय उनके घर में बहुत गरीबी थी। कहा जाता है कि उनके जन्म के बाद उनके परिवार के पास डॉक्टर को देने के लिए पैसे नहीं थे। जिसके चलते उनके पिता अली बख्‍श उनको अनाथालय की सीढ़ियों पर छोड़ आए थे। लेकिन पिता का मन नहीं माना और वे वापस जाकर उन्हें अनाथालय के बाहर से घर ले आए और उनकी परवरिश की।

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मीना कुमारी ने कई गीतों को अपनी आवाज़ भी दी थी। दरहसल, मीना कुमारी की मां इकबाल बानो गायिका थीं। उन्हें उनकी मां से गायिकी की तालीम मिली। मीना कुमारी ने ‘बहन’ फिल्म में अपना पहला गीत “ले चल मुझे अपनी नगरिया गोकुल वाले सांवरिया” गाया था। जिसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में गीत गाए। साथ ही उन्होंने उन्होंने “ईद का चांद” फिल्म में संगीतकार का भी काम किया था । अपने 30 साल के पूरे फिल्मी सफर में मीना कुमारी ने 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। 1954  में फिल्म ‘बैजू बावरा’ ने मीना कुमारी को बेस्‍ट एक्‍ट्रेस का फ़िल्मफेयर अवॉर्ड भी दिलवाया था।

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मीना कुमारी और कमाल अमरोही की शादी के किस्से बहुत मशहूर हैं। जब कमाल अमरोही आर्थिक संकट से जूझ रहे थे, तब मीना कुमारी ने अपनी सारी कमाई देकर उनकी मदद की थी। लेकिन दोनों के रिश्ते में मिठास बरकरार नहीं रही थी। साल 1964 में मीना कमाल से अलग हो गईं। फिल्म ‘पाकीजा’ से मीना कुमारी लोगों के दिलों पर छा गईं थीं। इस फिल्म के रिलीज होने के तीन हफ्ते बाद ही उनकी तबीयत बिगड़ने लगी थी। 31 मार्च 1972, गुड फ्राइडे वाले दिन दोपहर 3 बजकर 25 मिनट पर महज़ 38 वर्ष की आयु में मीना कुमारी ने अंतिम सांस ली। जब उनका तलाक हुआ तो उन्होंने कमाल अमरोही के लिए एक शेर लिखा था- ‘तलाक तो दे रहे हो नजर-ए-कहर के साथ, मेरी जवानी भी लौटा दो मेहर के साथ। 

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कहा जाता है कि मीना कुमारी कि शादी टूटने का सबसे बड़ा रीजन धर्मेंद्र को माना जाता है फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए प्रयास कर रहे धर्मेंद्र को मीना जैसी स्थापित अभिनेत्री का सहारा मिला। मीना की सिफारिश पर धर्मेंद्र को कई फिल्मों में काम मिला। फिल्मों में साथ अभिनय करते-करते दोनों नजदीक आ गए। लेकिन विडंबना यह थी कि उस समय दोनों ही शादीशुदा थे। उनके रोमांस की खबरें सब और फैल चुकी थीं। धर्मेंद्र के साथ मीना कुमारी का संबंध लगभग तीन साल तक चला। धर्मेंद्र सिने इंडस्ट्री में अपने पांव पूरी तरह जमा चुके थे। अब उन्हें मीना के सहारे की उन्हें जरूरत नहीं थी। दोनों ने आखिरी बार फिल्म 1968 में आई चंदन का पालना में काम किया। अब ही-मैन धर्मेद्र पर मर मिटने वाली हीरोइनों की कमी नहीं थी। वक्त ने धर्मेंद्र के मन में मीना का आकर्षण समाप्त कर दिया था। कुंठा ने मीना को नशे का आदी बना दिया। 1956 में मुहूर्त से शुरू हुई फिल्म पाकीज़ा 4 फरवरी 1972 को रिलीज हुई और 31 अगस्त 1972 को मीना चल बसीं।

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मीना कुमारी की शायरी बेमिसाल थी मशहूर शायर-डायरेक्टर गुलजार ने ‘तन्हा चांद’ नाम की किताब में संकलित भी किया है। मीना कुमारी की शायरी कमाल की है, और कई मौकों पर उन्होंने बहुत ही बेहतरीन अंदाज में शायरी पढ़ी भी है।

बॉलीवुड की ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी के दर्द और रोमांस से भरे 5 शेरः 

खुदा के वास्ते गम को भी तुम न बहलाओ 
इसे तो रहने दो मेरा यही तो मेरा है  ||

आगाज तो होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता ||

हंसी थमी है इन आंखों में यूं नमी की तरह
चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह ||

तेरे कदमों की आहट को ये दिल है ढूंढता हर दम
हर इक आवाज पर इक थरथराहट होती जाती है ||

कहीं कहीं कोई तारा कहीं कहीं जुगनू
जो मेरी रात थी वो आप का सवेरा है ||

मीना कुमारी की कुछ हिट फिल्मे : – लैदरफेस,  एक ही भूल ,  बैजू बावरा , दायरा, दो बीघा ज़मीन और परिणीता ,चाँदनी चौक और एक ही रास्ता .