हरियावां सुगरमिल की दबंगई पीड़ित की जमीन पर बनवा दी रोड

रिपोर्ट शरद द्विवेदी
रीडर टाइम्स न्यूज
* बुजुर्ग न्याय मांगने के लिए लगा रहा अधिकारियों के चक्कर
हरियावां सुगरमिल इस कदर दबंगई पर उतारू है कि अगर कोई जमीन/ खेत का मालिक सुगरमिल के उपयोग में आने वाली जमीन नही बेचता है तो सुगरमिल अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए उस पीड़ित की जमीन पर जबरिया निर्माण करा लेती है और निर्माण में व्यवधान पैदा करने पर फर्जी मुकदमे में फसाने तक की धमकी दी जाती है। या यूं कहें कि सुगरमिल को हर कीमत पर वह जमीन चाहिए जो उनके काम की है यह आरोप एक पीड़ित ने लगाया है सदर तहसील में शिकायती पत्र दिया है।

दरअसल हरियावां के निवासी विनोद कुमार मिश्रा व सुगरमिल हरियावां के बीच जमीन को लेकर विवाद न्यायालय में लंबित है।गाटा संख्या 340 के  ज्यादातर खातेदारों ने अपनी जमीन सुगरमिल हरियावां को बेच दी लेकिन विनोद कुमार ने अपनी जमीन नही बेची क्योकि वही दश बिसवा जमीन उनकी रोजी रोटी का साधन है जिस कारण वह इस जमीन पर अपनी कैंटीन चलवा रहे थे। हरियावां सुगरमिल ने अब अपनी दबंगई दिखाते हुए विनोद कुमार की कैंटीन को गिरवा दिया व रोड बनवा रहे है और बुजुर्ग अपनी जमीन पर कब्जा पाने के लिए अधिकारियों की चौखट का चक्कर लगा रहा है लेकिन सुनवाई नही हो रही है।

जब इस मामले में हरियावां सुगरमिल में तैनात जिम्मेदार अफसर प्रदीप त्यागी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इनका हिस्सा एक तरफ छोड़ दिया गया है आरोप निराधार है एक साल पहले एसडीएम के सामने फैसला हो चुका है जब प्रदीप त्यागी से आदेस की कॉपी मांगी गई तो उपलब्ध नही करा पाए जिससे समझा जा सकता है कि किस कदर हरियावां सुगरमिल दबंगई पर उतारू है।

आप लोगो के संज्ञान में लाना है कि एक तरफ सुगरमिल हरियावां उपजिलाधिकारी हरदोई के यहां हिस्सा विभाजन का बाद दाखिल किए हुए है वही दूसरी ओर खुद ही न्याययिक अधिकारी बनते हुए वाद के लंबित होने की दशा में खुद ही पीड़त का हिस्सा किनारे कर दिया।जब कि पीड़ित का कहना है कि उसकी जमीन पर रोड बनवा दी गई है और चकरोड पर भी कब्जा कर लिया गया है।

एक बात समझ से परे है जब न्यायालय में वाद विभाजन अभी लंबित है तो आखिर कैसे पीड़ित के हिस्से को अलग सुरक्षित करते हुए हरियावां सुगरमिल ने उक्त गाटा संख्या पर रोड बनवा दी क्या इस समाज मे न्याय प्रणाली उसी के साथ होगी जो रसूखदार होगा। क्या इस पीड़ित को इस प्रकार मुकदमो का खौफ दिखा कर उसकी जमीन को बेचने के लिए मजबूर करना अपराध नही अब देखना यह होगा कि इस पीड़ित को न्याय मिलता है या नही।