62 साल से हो रही है रामलीला की प्रस्तुति

1200px-Ramlila_Dasratha

नित नए रूप देखे राम की लीला के पर ऐसा न देखा… जहां एकांत भी है…प्रेम भी और रौद्र रूप भी, हर भाव की अभिव्यक्ति नृत्य की भावनाओं के साथ मंच पर सुसज्जित है, शास्त्रीय नृत्य यह संगम… कथक, भरतनाट्यम, ओडिशी जैसी अद्भुत नृत्य कलाओं को समाए हुए है, कलरिपायट्ट है तो छउ जैसी कई पारंपरिक मार्शल आर्टस भी इसी लीला में समाहित हैं, प्रतीत होता है…नृत्य, रामायण के हर अध्याय को सोपान में बांधे आगे बढ़ी जा रही है|

 

दर्शक भी मायूस थे…मादा क्रौंच की व्यथा पर…व्याध के तीर से उसके जीवन साथी का अंत हो गया, एक क्षण पहले ही तो दोनों शांत और शीतल वातावरण में कलकल करती तमसा नदी के तट पर प्रेम भाव में मशगूल थे, मायूस…मासूम मादा क्रौंच के इस दुख और विलाप पर वाल्मीकि का हृदय द्रवित हो उठा और उनके मुख से श्लोक फूट पड़ा |

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम शास्वती समा।
यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी काममोहितम्।।

 

 

हर बार कुछ नया

 

यूं तो नृत्य पर आधारित 62वीं संपूर्ण रामलीला का मंचन बरसों पुराना है, लेकिन फिर भी हर शारदीय नवरात्र में इसमें किए गए नित नए प्रयोग संपूर्ण रामलीला मंच पर दर्शकों को कुछ नया देते हैं, भगवान राम के संपूर्ण जीवन से लोग अच्छी तरह परिचित हैं, रावण के साथ उनके युद्ध की बात भी कोई नई नहीं है, लेकिन उसी कहानी को किस तरह और रोचक और आकर्षक बनाकर पेश किया जाए ताकि दर्शक प्रभावित हों, इस बात पर काफी ध्यान दिया जा रहा है, 10-12 साल पहले तक यह लीला अवधि भाषा में होती थी, लेकिन ज्यों-ज्यों दर्शकों की चाहत बढ़ती गई इसके संवाद हिंदी में बदलते गए, नृत्य-नाटक के साथ स्क्रीन पर पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के जरिए कहानी अंग्रेजी में भी लिखकर बताई जाती है ताकि लोगों को समझ आए।

 

 

दूरदर्शन पर भी हुई थी प्रसारित

 

1957 में इसका मंचन शुरू हुआ था, तब मशहूर कवि रामधारी सिंह दिनकर ने रामायण की चौपाइयों को संगीत दिया, तो तपस सेन ने सेट डिजाइन किया, यह रामलीला इतनी मशहूर हुई कि जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, एस राधाकृष्णन, इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और अटल बिहारी बाजपेयी तक इसे देखने आए, कई बार इस लीला में विदेशियों ने भी अदायगी की, विगत सालों में इंडोनेशिया, बांग्लादेश और अमेरिका के कलाकार भी इसमें शामिल हुए, यह पहली रामलीला थी जो दूरदर्शन पर भी टेलिकास्ट की गई थी।

 

 

राम और रावण का दिलचस्प युद्ध

10 अक्टूबर से 5 नवंबर तक चलने वाली इस संपूर्ण रामलीला में राम की जिंदगी के सभी पहलुओं को प्रदर्शित किया जाएगा, संपूर्ण रामलीला दर्शकों को असत्य पर सत्य की विजय की गाथा से रूबरू कराएगी।