AAP vs LG : सुप्रीम कोर्ट का फैसला, दिल्ली सरकार को बिना किसी दखल के काम करने की पूरी आज़ादी

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सुप्रीम कोर्ट आज दिल्ली को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाला है| दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच अधिकारों की लड़ाई चल रही है| अगर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला अरविंद केजरीवाल के पक्ष में आता है तो केजरीवाल को वो तीन बड़े अधिकार मिल जाएंगे, जिसके लिए वे काफी समय से मांग करते आ रहे हैं| अभी तक अरविंद केजरीवाल कोई भी फैसला खुद नहीं ले सकते हैं| उन्हें अपने हर फैसले के बाद उसके लिए उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होती है| अगर आज सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया तो केजरीवाल स्वयं फैसले लेने में सक्षम होंगे| उप राज्यपाल के पास उन्हें फाइल भेजने की जरूरत नहीं होगी|

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, हमने सभी पहलुओं – संविधान, 239एए की व्याख्या, मंत्रिपरिषद की शक्तियां आदि – पर गौर किया|सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि दिल्ली का असली बॉस चुनी हुई सरकार ही है यानी दिल्ली सरकार| बता दें कि दिल्ली सरकार बनाम उप राज्यपाल के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 11 याचिकाएं दाखिल हुई थीं| 6 दिसंबर 2017 को मामले में पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था|

चंद्रचूड ने कहा कि असली शक्ति और जिम्मेदारी चुनी हुई सरकार की ही बनती है। उपराज्यपाल मंत्रिमंडल के फैसलों को लटका कर नहीं रख सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा है कि एलजी का काम राष्ट्रहित का ध्यान रखना है, उन्हें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि चुनी हुई सरकार के पास लोगों की सहमति है। पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।

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वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फैसले पर कहा कि यह दिल्ली के साथ लोकतंत्र की भी बड़ी जीत है। इस बाबत उन्होंने ट्वीट भी किया है। साथ ही दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली की जनता का एक ऐतिहासिक फैसला था, आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक और महत्वपूर्ण फैसला दिया है| मैं दिल्ली की जनता की तरफ से इस फैसले के लिए धन्यवाद करता हूं, जिसमे माननीय न्यायालय ने जनता को ही सर्वोच्च बताया है| LG को मनमानी का अधिकार नहीं, दिल्ली सरकार के काम को रोका जा रहा था|

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई फैसला लेने से पहले LG की अनुमति लेने की जरूरत नहीं, सिर्फ सूचना देने की जरूरत| साथ ही कोर्ट ने कहा कि छोटे-छोटे मामलों में में मतभेद ना हो| राय में अंतर होने पर राष्ट्रपति को मामला भेजें लग| मौजूदा वक्त में अरविंद केजरीवाल दिल्ली में किसी भी कर्मचारी की ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं कर सकते| केंद्र सरकार दिल्ली में कर्मचारियों के स्थानांतरण के फैसले पर अपना हक जताती है| केजरीवाल इसका शुरू से विरोध कर रहे हैं| केजरीवाल दुहाई देते रहे हैं कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार की कोई नहीं सुनता|

उनका कहना है कि दिल्ली के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक उनकी बात नहीं मानते| इसके चलते उन्होंने एलजी हाउस में 9 दिन तक धरना भी दिया था| अगर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला केजरीवाल के हक में आता है तो दिल्ली के अधिकारियों-कर्मचारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार भी केजरीवाल को मिल जाएगा|

आपको बता दे कि अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली में सरकार बनाने के बाद सबसे जोर-शोर से जो काम किया, उसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई रही है| केजरीवाल ने सरकार बनाते ही फौरन एंटी करप्शन ब्रांच का गठन किया| ब्रांच ने ताबड़तोड़ कई छापे भी मारे| लेकिन यहां फिर से उपराज्यपाल का दखल हुआ| तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग ने जून 2015 में ACB में अपनी पसंद का अधिकारी बैठा दिया, जिसका केजरीवाल सरकार ने जमकर विरोध किया| यहीं से उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री में ‘ठन’ गई| इस घटना के बाद से केजरीवाल उपराज्यपाल के विरोध में और मुखर हो गए| अगर आज केजरीवाल के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आता है तो ACB में केजरीवाल फिर से अपनी पसंद का अधिकारी नियुक्त कर सकेंगे और भ्रष्टाचार विरोधी अपनी मुहिम को और तेज कर सकेंगे|