18 अप्रैल को शुक्र उदय के बाद महामारी तेज़ी से कमज़ोंर पड़ेगी : ज्योतिर्विद संजय मिश्रा  

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
* मंगल – राहु की वृष राशि में युति देश के लिए चिंताजनक .
*  मार्च अंत में बंगाल के लिए कुछ कठिन दौर.

पिछले एक साल किसी त्रासदी से कम नहीं था . कोरोना ने जीने के अलग तरीके सिखा दिए. कोरोना की वैक्सीन बाजार में आ चुकी है और चरणबद्ध तरीके से अलग-अलग वर्ग को प्राथमिकता के अनुसार लगायी जा रही है , लेकिन अभी भी सावधान रहने की ज़रुरत है, क्यूंकि कोरोना अभी ख़त्म नहीं हुआ है.

ज्योतिर्विद संजय मिश्रा ने 1 महीने पहले कहा था कि भारत में कोरोना 4 – 5 राज्यों में अपने पैर फिर पसारेगा , और यह हमने दिल्ली, महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में देखा . इसके कारण यह है कि भारत कि कुंडली वृष लग्न की है और वृष राशि का स्वामी शुक्र 16 फरवरी 2021 से 18 अप्रैल 2021 तक अस्त है . 18 अप्रैल 2021 के बाद स्थितियां सुधरेंगीं और कोरोना महामारी और कमज़ोर पड़ेगी लेकिन इससे इतर 26 से 29 मार्च 2021 के बीच मंगल और राहु 19 अंश पर वृष राशि में रोहिणी नक्षत्र में युति कर रहे है , जिससे देश के लिए कुछ चिंताजनक स्थितियां बन सकती है . देश की सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवादी गतिविधियों को लेकर सावधान रहना चाहिए , दूसरी तरफ जल सम्बंधित प्राकृतिक आपदाएं भी देश को प्रभावित कर सकती हैं.

अच्छी खबर यह है कि बृहस्पती गृह 7 अप्रैल 2021 को मकर राशि से से आगे बढ़ जायेगा जिससे देश के ज्यादा पीड़ित राज्य जैसे कि महाराष्ट्र, केरला , मध्य प्रदेश आदि को बड़ी राहत मिलेगी . पिछले 1 साल में इन राज्यों ने बहुत बुरा दौर देखा है. ज्योतिष के प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि बृहस्पति गृह के मकर राशि में गोचर करने से देश के मगध क्षेत्र, कोंकण क्षेत्र और गौधा क्षेत्र में इसके सबसे ज़्यादा बुरे परिणाम देखने को मिलते हैं .

मगध क्षेत्र में दक्षिणी बिहार ,कोंकण क्षेत्र में कनारा , रत्नागीर, कोलाबा , मुंबई , ठाणे इत्यादि आता है और गौधा क्षेत्र में सेंट्रल बंगाल ,उड़ीसा और नवी मुंबई आता है .बाकी सभी जगहों के लिए बृहस्पति के परिणाम माध्यम माने गए है .ग्रहों के समीकरण बता रहे हैं कि मार्च के अंत में बंगाल में कुछ समस्याएं आ सकती है , वैसे भी चुनावी सरगर्मियों के चलते बंगाल इस समय बहुत संवेदनशील क्षेत्र में आता है. ईश्वर से यही प्रार्थना है कि जल्द ये बुरा दौर समाप्त हो .

               – ज्योतिर्विद संजय मिश्रा 

                                                            * उपरोक्त लेखक के अपने विचार हैं .