NRC पर राज्यसभा में अमित शाह का बयान- हमने दिखाई हिम्मत पर, विपक्ष ने खड़ा किया हंगामा

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नई दिल्ली :- असम में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) में 40 लाख लोगों के नाम शामिल न किए जाने के मुद्दे पर मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में गर्मागर्म बहस हुई। राज्यसभा में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि वह आज इस पर सवाल उठा रही है, राजीव गांधी ने 1985 में असम समझौते पर दस्तखत किए थे। यह एनआरसी जैसा था। समझौते में कहा गया था कि अवैध घुसपैठियों की पहचान कर हमारे सिटीजन रजिस्टर से अलग करना चाहिए। लेकिन वे अमल करने की हिम्मत नहीं कर पाए। हम में अमल करने की हिम्मत है, इसलिए हम यह कर रहे हैं।

शाह ने NRC के विरोध को देश में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों को बचाने की कोशिश करार दिया। एनआरसी का काम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रहा है।’’ शाह के इस बयान पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी समेत विपक्ष के सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी। जिससे सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि चर्चा के दौरान कोई यह नहीं बता रहा है कि NRC का मूल कहां है, यह आया कहां से है। उन्होंने कहा, ‘अवैध घुसपैठियों के मुद्दे पर असम के सैकड़ों युवा शहीद हुए। 14 अगस्त 1985 को पूर्व पीएम राजीव गांधी ने असम अकॉर्ड लागू किया था। यही समझौता NRC की आत्मा थी। इस समझौते में यह प्रावधान था कि अवैध घुसपैठियों को पहचानकर उनको सिटिजन रजिस्टर से अलग कर एक नैशनल रजिस्टर बनाया जाएगा।

शाह ने कांग्रेस पर अवैध बांग्लादेशियों को लेकर नरमी दिखाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘कांग्रेस के पीएम ने यह समझौता किया, लेकिन यह पार्टी इसे लागू नहीं कर सकी। हममें हिम्मत थी और इसलिए हमने इसपर अमल किया।’ उन्होंने कांग्रेस से सवाल पूछा कि वह क्यों अवैध घुसपैठियों को बचाना चाहती है? अमित शाह के इस बयान के बाद से ही सदन में विपक्षी दलों ने शोर शराबा करना शुरू कर दिया| बात इतनी बढ़ गयी के सब चेयरमैन की पास तक पहुंच गए| जिसके चलते सुनवाई हंगामे के बीच राज्यसभा पहले 10 मिनट के लिए और फिर कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। और उसके बढ़ पुरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी|

एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट सोमवार को जारी हुआ था। इसके मुताबिक 3.39 करोड़ में से 2.89 करोड़ लोगों को नागरिकता के लिए योग्य पाया गया। 40 लाख लोगों के नाम इस लिस्ट में नहीं हैं। जो नाम छूट गए हैं, उनमें भाजपा और एआईयूडीएफ का एक-एक विधायक शामिल है। गृह मंत्रालय का कहना है कि ये ड्राफ्ट है, फाइनल लिस्ट नहीं। जो भी नाम छूट गए हैं, वे विदेशी नहीं कहलाएंगे। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं होगी।