संस्कृत से ही होता है संस्कारों का विकास:परसादी लाल मीना

 

परसादी लाल मीना

रिपोर्ट : राहुल भरद्वाज
जिला संवाददाता , रीडर टाइम्स
दौसा , राजस्थान
लालसोट, 7 दिसम्बर। राजस्थान प्रदेश के उद्योग एवं राजकीय उपक्रम मंत्री परसादी लाल मीना ने संस्कृत भाषा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्कृत से ही छात्रों में संस्कारो का विकास हो सकता है। संस्कृत के विकास के लिए प्रदेश सरकार द्वारा आवश्यक कदम उठाए जाएगें। शनिवार को लालसोट में आयोजित राजस्थान संस्कृत शिक्षा विभागीय शिक्षक संघ के 42 वें प्रांतीय शैक्षिक सम्मेलन के सम्पन्न समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के उद्योग एवं राजकीय उपक्रम मंत्री ने यह बात कही।

उन्होने कहा कि शिक्षक, जनप्रतिनिधि व आमजन मिलकर समाज में संस्कारों के सुधार के लिए प्रयास करें। वर्तमान परिवेश में देश में संस्कारों का सही प्रकार से पालन नही किया जा रहा है।शिक्षकों को अपने दायित्वों को पालन करते हुए समाज में संस्कारों के प्रति चेतना जागृत करने का काम करना चाहिए । उन्होने कहा कि लालसोट तहसील में 1947 में छोटे ग्राम तलावगांव में श्रीकृष्ण शास्त्री ने संस्कृत का विद्यालय चालू करने का काम किया था। उनके साथी लालसोट में कल्याण जी मिश्र लालसोट, बिनौरी, सुकार व बौली सहित कई क्षेत्रों में संस्कृत के अनुदानित विद्यालय संचालित किये जाने लगे थे। श्री कृष्ण शास्त्री ने विद्यालय से कॉलेज स्तर तक संस्कृत शिक्षा को पहुंचाने का काम किया लेकिन व्यवस्थित रूप सें संचालित नही होने के कारण उन्होने 1985 में अनुदानित विद्यालय को सरकार को सौपने का निणर्य लिया आज तलावगांव में संस्कृत का महाविद्यालय संचालित है। इससे तलावगांव व आस पास के गांवों के सैकडों युवाओं को संस्कृत, आयुर्वेद व अन्य क्षेत्र में राजकीय क्षेत्र में जाने का अवसर मिला है।

परसादी लाल मीना

उद्योग मंत्री ने कहा कि संस्कृत शिक्षा में शिक्षकों की पदोन्नति, स्थानान्तरण, स्टॉफ व रिक्त पद की समस्याओं के समाधान के लिए मुख्यमंत्री से वार्ता कर कमियों को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। सभी शिक्षक अपने दायित्वों का पालन करते हुए अपने संस्कारों को ध्यान में रखते हुए विद्यालय में आने वाले बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण संस्कारवान षिक्षा प्रदान करे ताकि ये बच्चें आगे जाकर देष के विकास के लिए कार्य कर सकें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संभागीय अधिकारी अजमेर विष्णु शर्मा ने कहा कि संस्कृत शिक्षा वर्तमान समय में गंभीर संकट में है।इसका संरक्षण किये जाने की आवश्यकता है। कई शिक्षण संस्थाओं में स्टॉफ, अध्यापक व व्याख्याताओं की कमी के कारण बच्चों को समय पर शिक्षा नही मिल पा रही है। उन्होने उद्योग मंत्री से आग्रह किया कि प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को ओर विकसित करने के लिए संस्कृत शिक्षण संस्थाओं की कमियों को पूरा करवाने का कार्य करें।

इस अवसर पर राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य हजारी लाल बैरवा, एवीपी महाविद्यालय के निदेषक अशोक उपाध्याय, अशोक तिवाडी महू ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षक संस्कृत शिक्षा की गरिमा को समझें। तथा देश में संस्कारों को सुरक्षित रखने के लिए समाज में चेतना जागृत करें। कार्यक्रम के प्रारम्भ में शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष बुद्धिप्रकाश शर्मा ने अतिथियों को स्वागत करते हुए संस्कृत षिक्षा के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यो के बारे में अवगत कराया। इस अवसर पर ब्लॉक अध्यक्ष जगदीष राडा, दयासिंह काजला, सत्यनारायण दाधीच सहित संस्कृत शिक्षा के प्रदेश स्तर से पधारे हुए अध्यापकगण उपस्थित थे।