प्राकृतिक संतुलन के लिए पर्यावरण का संरक्षण जरूरी: डॉ एम एल गुप्ता

संवाददाता श्याम जी गुप्ता

रीडर टाइम्स

शाहाबाद(हरदोई) : विश्व पर्यावरण दिवस पर नगर पालिका परिषद द्वारा नेहरू म्यू. कन्या इन्टर कालेज में आयोजित गोष्ठी में जनकल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ एम एल गुप्ता ने कहा कि प्राकृतिक संतुलन के लिए पर्यावरण संरक्षण जरूरी है। डॉ गुप्ता ने बताया कि हमें अधिकार के साथ कर्तव्य बोध भी होना चाहिए।हमारे बुजुर्गों ने प्रकृति की पूजा बताई और प्रकृति के संरक्षण पर जोर दिया।उनका कहना था कि आज हम हर काम के लिए सरकार पर निर्भर हैं।जबकि हमें कर्तव्य की बात करनी चाहिए।हमारे राजनेताओं को भी कर्तव्य की शिक्षा देनी चाहिए। गुप्त ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सभी को अपने आस−पास का पर्यावरण बचाने व स्वच्छ रखने का संकल्प लेना होगा। हमारा पानी प्रदूषित नहीं हो, वायु शुद्ध रहे, अधिक से अधिक पेड़ लगायें, नदियों को प्रदूषित होने से रोकें, वर्षा जल के समुचित संरक्षण के उपाय हों, जंगल कटने से बचें तथा हम स्वयं भी अच्छे पर्यावरण का निर्माण करें एवं भावी पीढ़ी को भी इसके प्रति साचेत एवं जागरूक करें।

नगर पालिका परिषद कि अधिकारी विमला पति ने कहा कि सरकार का काम जागरूक करना है।हमारा कर्त्तव्य उसे क्रियान्वित करना है।ई ओ ने कहा कि जैसे-जैसे हमने पुरानी परंपराओं को तोड़ा है, और अपने जीवन से खिलवाड़ किया है। क्योंकि पाॅलीथिन से ऐसे पदार्थ निकलते हैं, जो कभी नष्ट नहीं होते। पालीथिन अभिशाप है।इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता खत्म होती है। इसका उपयोग पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है तथा जानवरों के लिए प्राणघातक सिद्ध हो चुका है।उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति हर साल वृक्ष लगाने का संकल्प ले।तभी प्रथ्वी के पर्यावरण को सुधारा जा सकता है।साप्ताहिक पत्र के संपादक राधेश्याम त्रिपाठी ने कहा कि कोरोना काल ने पर्यावरण को अच्छा बनाया।वैसे तो हर साल पूरे विश्व में पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास व कार्यक्रम किए जाते हैं।जनपद में ही लाखों पेड़ लगाए जाते हैं।परन्तु ग्राम पंचायत से लेकर ब्लॉक तक दस फीसदी पेड़ ही सुरक्षित रह पाते हैं।हमें वृक्षारोपण के साथ ही उनकी सुरक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए।
भारत विकास परिषद के अध्यक्ष अम्बरीष कुमार सक्सेना ने कहा कि

पर्यावरण का मानवीय जीवन में बहुत महत्व है।चारों ओर के आवरण को ही पर्यावरण कहा जाता है। मनुष्य एक पल भी इसके बगैर नहीं रह सकता। ये हरे-भरे पेड़-पौधे,जीव जंतु,सूरज, चांद, सितारे हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं।प्रकृति के बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जल ,प्रथ्वी, वायु, अग्नि, आकाश इन्हीं पांच तत्वो से ही मनुष्य का जीवन है,और जीवन समाप्त होने पर वह इन्हीं में विलीन हो जाता है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में मनुष्य अपने चारों ओर की सुंदर प्रकृति को सहेज कर रखता था ,मनुष्य का जीवन बहुत सीधा-साधा और सरल था। वह अपनी पूरी मेेेहनत और लगन से काम करता था और साथ ही अपने आस-पास के पेड़- पौधों की भी पूरी लगन से देखभाल करता था, उसके चारों ओर एक सुन्दर और स्वस्थ वातावरण रहता था।राजस्व निरीक्षक अनस खां ने कहा कि हर आदमी को सबसे ज्यादा आक्सीजन की जरूरत रहती है।जोकि हमें हरे भरे लहलहाते हुए पेड़ों से मिलती है।

गोष्ठी के उपरांत कालेज प्रांगण में डॉ एम एल गुप्ता एवं राधेश्याम त्रिपाठी ने अलग अलग वृक्षारोपण किया।इस अवसर पर अनिल कुमार शर्मा, अंसार हुसैन,प्रभाकर त्रिपाठी,नन्हे लाल,रामवीर,रामकुमार, अफजाल अहमद खां,राकेश कुमार,शकुंतला,निरूपा सहित अनेक लोग मौजूद रहे।