साइमन कमीशन का प्रस्ताव विफल कर दिया राय राजेश्वर बली ने-

रीडर टाइम्स संवाददाता

बात उस समय की है जब कुख्यात साइमन कमीशन से सम्बंधित प्रस्ताव भारत के सभी प्रान्तो मे गवर्नरो ने लगभग सभी काउन्सिलो मे दबाव बना कर पास करा लिया था । केवल तत्कालीन संयुक्त प्रान्त ही शेष रह गया था जहा के शिक्षा मंत्री डाक्टर राय राजेश्वर बली ने पूरा मन बना लिया था कि वे देश वासियो के सम्मान को किसी भी कीमत पर कम नही होने देगे । जब गवर्नर लार्ड मुडीमैन ने बली जी पर दबाव बनाया कि वे कमीशन से सहयोग करे । तब राय राजेश्वर बली जी ने अपने मित्र राजेन्द्र यादव के साथ अपने-अपने मंत्री पदो को ही त्याग दिया । इससे सरकारी प्रस्ताव गिर गया और यह घटना इतिहास मे एक बहुत बड़ी विजय के रूप मे दर्ज हो गई ।
राय राजेश्वर बली का जन्म 30-जुलाई 1889 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की तत्कालीन रियासत दरियाबाद के ताल्लुकेदार राय नारायण बली के घर मे हुआ था । बली साहब एक जनप्रिय ताल्लुकेदार, महान् कृष्णभक्त भी थे । वर्ष 1924 मे तत्कालीन संयुक्त प्रान्त के गवर्नर सर विलियम मैरिस ने उनकी विद्वता, क्षमता और उद्देश्य को जानकर उन्हे प्रान्त के शिक्षा स्वास्थ्य एवं स्थानीय स्वशासन जैसे महत्वपूर्ण विभागो का मंत्री बनाया । राय साहब ने आगरा विश्वविद्यालय, संगीत विद्यालय भातखण्डे लखनऊ ,हिन्दुस्तानी एकेडमी इलाहाबाद, पर्मानेंट गैलरी आफ् आर्ट जैसे कई महत्वपूर्ण संस्थानो की स्थापना अपने कार्यकाल मे करायी थी । उन्होने डिस्ट्रिक्ट बोर्ड प्राइमरी एजुकेशन ऐक्ट 1926 पारित कराया ।
राजेश्वर बली साहब ने ही यह व्यवस्था दी थी कि आर्ट्स कालेज का प्रधानाचार्य एक भारतीय भी हो सकता है और उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर 1925 और 1926 मे संगीत एवं कला की प्रदर्शनियो का आयोजन कराया था । इस अवसर पर उन्होंन रवींद्र नाथ टैगोर को भी बुलाया था और वे आये भी थे क्योंकि उनसे राय साहब के अच्छे सम्बन्ध थे । एक सफल राजनीतिक होते हुए भी डा.राय राजेश्वर बली मानते थे कि – where the Politician has failed, art will succeed.

लेखक
विश्वास शुक्ल
शोधकर्ता पाश्चात्य इतिहास, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ