इलाज नहीं मौत की दावत दे रहा सिटी लाइफ हॉस्पिटल ट्रामा सेंटर

 

संवाददाता रीडर टाइम्स न्यूज़

  • एम्बुलेंस ड्राइवर से सेटिंग करके व आशा बहुओं दलालों को मोटा कमीशन देकर मरीजों को बहला फुसलाकर सिटी लाइफ हॉस्पिटल ट्रामा सेंटर में भर्ती किया जाता है।

  • सात बेड का कैसे चल रहा सिटी लाइफ ट्रामा सेंटर

  • फ्रेंटानिल, मेडाजोल जैसे नारकोटिक्स दवाइयां मरीजों को देते हैं नशे का इंजेक्शन

  • कैसे मिली नारकोटिक्स दवाइयां…!

  • लखनऊ राजधानी के अंदर जहां पर पूरा शासन-प्रशासन का अमला निवास करता है कानून बनते बिगड़ते हैं। राजनीतिज्ञ गढ़ लखनऊ में वर्तमान समय चल रही अनेक प्रकार की बीमारियों से त्रस्त व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवाओं में सही उपचार ना होने पर प्राइवेट हॉस्पिटलों पर पीड़ित बीमार व्यक्ति अपना उपचार करा रहे है उपचार के दौरान मरीजों को जबरदस्त बीमारी बताकर अनेकों दिन हॉस्पिटल में भर्ती करके भारी बिल बनाने का कार्य कर रहे हैं जिससे गरीब पीड़ित व्यक्ति आए दिन लखनऊ के हॉस्पिटलों पर लुट रहा है और क्षेत्रीय विभागीय शासन व प्रशासन ऐसे कार्यों पर मूकदर्शक बना हुआ है।

  • आपको बता दें कि लखनऊ शहर के आईआईएम रोड निकट प्रधान मैरिज लॉन भिठौली लखनऊ में सिटी लाइफ हॉस्पिटल ट्रामा सेंटर के चिकित्सकों द्वारा मात्र 48 घंटे में साधारण मरीज से 60 हजार से लगभग एक लाख का बिल हम थमाने से बीमार पीड़ित के परिजन पूर्ण रूप से परेशान होते हैं जब तक बिल का भुगतान नहीं होता तो मरीज को बाहर ना निकालकर और बिल बढ़ाया जाता है यहा पर आए दिन मरीज रो कर इधर उधर से किसी तरह रुपयों का बंदोबस्त करके बिल का भुगतान करता है। प्वाइजैन मरीजों का उपचार के दौरान ठीक होने के बाद भी उसे नशे का इंजेक्शन देकर अस्पताल में रुकाने का कार्य किया जाता है जिससे बिल अधिक बनाया जा सके। अगर बेहोशी की हालत में कोई मरीज पहुंचा उसे साधारण उपचार की जगह आईसीयू वार्ड में रखकर लंबा बिल बनाया जाता है रात में अगर किसी मरीज की हालत गड़बड़ होती है तो नौसिखिया चिकित्सक बनने की लालच में लगे हुए लड़के या लड़कियां उपचार करते हैं वहां पर रात्रि के दौरान कोई भी चिकित्सक या विशेषज्ञ की मौजूदगी नहीं होती है। आखिर मरीज भी दम तोड़ देता है तो उसको अगले दिन तक रख कर बड़ा बिल बना कर परिजनों को थमाया जाता है। अस्पताल में आकस्मिक फायर की भी कोई सुचार रूप से व्यवस्था नहीं दिखती है।

  • बड़ी बात तो यह है कि राजनीतिक और प्रशासनिक सही पकड़ के चलते जहां 07 बेडो के लिए सुनिश्चित जगह नहीं है उसे ट्रामा सेंटर वैश्विक कोरोना महामारी के दौरान रजिस्टर्ड किया गया है। प्राइवेट अस्पतालों में धड़ल्ले से मोनोपोली जेनेरिक दवाओं के साथ-साथ प्राइवेट जांचों को कराने हेतु मरीजों को चिकित्सकों द्वारा पर्चा थमाया जाता हैं जिससे साफ दिखता है कि प्राइवेट हॉस्पिटलों पर बीमार पीड़ितों से उपचार के दौरान लूटने का कार्य किया जा रहा है। सही घराने का कोई मरीज पहुंचा तो उस मरीज को रुकाने हेतु हॉस्पिटल में नशे का इंजेक्शन लगा कर ज्यादा दिन रुका कर अवैध रूप से वसूली भी होती है।

  • बताया जाता है कि कुलदीप सिंह चौहान पुत्र त्रिघुपाल सिंह मरीज से अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा अवैध रूप से मोटी रकम की वसूली की गई है। इस सिटी लाइफ हॉस्पिटल के मालिक द्वारा अस्पताल में मरीजों को लाने हेतु कई दलालों एवं आशा बहुओं को लगा रखा है जिन्हें बिल के तहत सही कमीशन देकर लालच दिया जाता है चारों तरफ से इस हॉस्पिटल में मरीजों के साथ खिलवाड़ होने के साथ-साथ सही उपचार ना होते हुए भी पूर्ण रूप से ठगाई की जाती है। जब ऐसे लखनऊ शहर में हॉस्पिटलों द्वारा मरीजों के साथ खिलवाड़ और अधिक बिल लेकर ठगाई की जाती है। जिस पर शासन और प्रशासन मूक दर्शक बनकर रहता है तो ऐसे में प्रदेश के अन्य जनपदों में खुले हुए कुकुरमुत्ता की तरह झोलाछाप डॉक्टरों के हॉस्पिटलों पर क्या हाल होगा? वर्तमान योगी सरकार के नुमाइंदे अपने भाषणों में छाती पीटते नजर आते हैं कि प्रदेश के नागरिकों को सही उपचार हेतु जिला अस्पतालों, सीएचसी व पीएचसी में संपूर्ण व्यवस्थाएं हैं लेकिन सत्यता में देखा जाए तो इन पर भी वहीं रूल अपनाया जाता है जहा स्वास्थ्य सेवाओं को दे रहे चिकित्सक बाहरी जांच एवं मोनोपोली दवाएं लिखकर गाढ़ी कमाई करने का कार्य कर रहे हैं। मरीज जब सरकारी स्वास्थ्य परिसरों में स्वास्थ्य सेवाओं को लेने जाता है तो उसे सही उपचार नहीं मिल पा रहा तो प्राइवेट हॉस्पिटलों में भागना उसकी मजबूरी है लेकिन वहां भी उसके साथ पूर्ण रूप से लूट होती है।