शिक्षा से ही विश्व शांति की स्थापना संभव : जगदीश गांधी

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
1- विश्व के सबसे बड़े स्कूल का गौरव प्राप्त करने वाला एकमात्र संस्थान सिटी मोंटेसरी स्कूल

2-आधुनिक शिक्षा और आध्यात्मिक विकास का अनूठा संगम

लखनऊ :- शिक्षा की रौशनी से विश्व में शांति की स्थापना के लक्ष्य की तरफ सतत यात्राशील अंतर्राष्ट्रीय शांति शिक्षा पुरस्कार से सम्मानित सिटी मोंटेसरी स्कूल के संस्थापक प्रबंधक जगदीश गांधी का जीवन चरित्र आज हजारों लाखों बच्चों की जीवन की प्रेरणा बन चुका है। शिक्षा को जीवन का लक्ष्य और मिशन मानकर पूरा करने वाले 85 वर्षीय जगदीश गांधी उम्र के इस पड़ाव में भी कभी थके हुए नहीं दिखते। नित्य प्रति फाइलों में या फिर अपने किसी स्कूल कैंपस के विद्यार्थियों के बीच घिरे डॉक्टर गांधी शिक्षा की अलख जगाते ही दिखाई पड़ते हैं। एक किराए के घर के कमरे में 5 बच्चों के साथ शुरू हुआ सिटी मोंटेसरी स्कूल विश्व के सबसे बड़े स्कूल का गौरव यानी 18 शाखाओं में 55000 से अधिक छात्र-छात्राओं तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था ।

लेकिन डॉक्टर गांधी अपनी पत्नी डॉ भारती गांधी के साथ खुली आंखों से शिक्षा के उस मंदिर का स्वप्न देखते और उसको असलियत में बदलते जा रहे है जहां आधुनिक शिक्षा के साथ आध्यात्मिक सामाजिक और व्यवहारिक शिक्षा के ऐसे मिश्रण के रूप में विद्यार्थी तैयार हो रहे है जिसमें सफलता के मायने सिर्फ भौतिकता से जुड़े ना होकर सामाजिक उत्थान से जुड़े हैं। शिक्षा से जुड़े तमाम विषयों पर डॉक्टर जगदीश गांधी ने विशेष बातचीत की पेश है उसके मुख्य अंश

उत्तर प्रदेश की एक गरीब किसान परिवार में जन्मे डॉक्टर जगदीश गांधी को समाज सेवा की प्रेरणा उनके चाचा प्रभु दयाल जी से मिली जो एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व महात्मा गांधी के परम अनुयाई थे। उन दिनों डॉक्टर गांधी अन्य बच्चों को आजादी के नारे लगाते हुए अपने गांव में प्रभात फेरियां निकाला करते थे । महात्मा गांधी को बाल जीवन से ही अपना आदर्श मानने वाले जगदीश प्रसाद अग्रवाल 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या से कुछ ऐसे विचलित हो उठे की उसके बाद इन्होंने अपना नाम बदल कर “जगदीश गांधी” रख लिया । तब से लेकर आज तक खादी वस्त्रों को ही धारण करने डॉक्टर गांधी खादी को एक व्यापक विचार मानते हैं।

डॉक्टर गांधी जुलाई 1957 में लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में उपाध्यक्ष और 1958 में भारी बहुमत से छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। यह चुनाव कोई साधारण चुनाव नहीं था। डॉक्टर गांधी की व्यक्तिगत आमंत्रण पर छात्र संघ के शपथ ग्रहण समारोह में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू मुख्य अतिथि के रुप में पधारे थे।

सिटी मोंटेसरी स्कूल लखनऊ की नींव डॉक्टर जगदीश गांधी एवं डॉ भारती गांधी ने मिलकर जुलाई 1959 को एक किराए के मकान में डाली थी । जहां 5 बच्चों के साथ शुरू हुए इस विद्यालय में आज शहर के अलग-अलग हिस्सों में 18 शाखाओं में 55000 से भी अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है। “जय जगत” को मोटो ऑफ स्कूल के रूप में इस स्कूल ने अपनाया मतलब विश्व का प्रत्येक व्यक्ति परमात्मा की राह पर चले तो किसी की पराजय नहीं होगी बल्कि सब की जय होगी अर्थात सारे जगत का कल्याण होगा । इस भावना के साथ शिक्षा की अलख जगाता हुआ सिटी मोंटेसरी स्कूल निरंतर विकास पथ पर अग्रसर है।

एशियन नोबेल प्राइज कहे जाने वाले “गुसी पीस प्राइज” से 2011 में डॉक्टर गांधी को सम्मानित किया गया । एशियन नोबेल प्राइज कहे जाने वाले इस सम्मान के लिए भारत से सिर्फ दो लोगों को ही चुना गया था जिसमें से एक मिस्टर गांधी और दूसरे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल महामहिम ए के नारायणन थे। सारी वसुधा को कुटुंब बनाने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 के अनुरूप डॉक्टर गांधी ने महा अभियान शुरू किया। इस अभियान के अंतर्गत विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के विचार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने के लिए सीएमएस ने प्रति वर्ष भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 पर विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन लखनऊ में वर्ष 2001 से आयोजित करना प्रारंभ किया। बच्चों की अपील पर 21 वर्षों से सीएमएस द्वारा आयोजित हो रहे विश्व की मुख्य न्यायाधीशो की अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में अब तक 136 देशों के 1329 मुख्य न्यायाधीश हेड ऑफ द स्टेट/ गवर्नमेंट संसद के स्पीकर ने प्रतिभाग किया है।

डॉक्टर जगदीश गांधी को विश्व की अलग-अलग यूनिवर्सिटी से अब तक कई बार मानद उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है। 2014 में डॉक्टर गांधी को उत्तर प्रदेश के सर्वोत्तम पुरस्कार यश भारती से भी सम्मानित किया गया है। सिटी मोंटेसरी स्कूल गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में एक ही शहर में सबसे अधिक बच्चों वाले विश्व के सबसे बड़े विद्यालय के रूप में दर्ज है।

डॉक्टर गांधी का मानना है कि , मनुष्य द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर को अर्पित की जाने वाली समस्त सेवाओं में से सर्वाधिक महान एवं पूर्ण सेवा बच्चों की शिक्षा उनके चरित्र का निर्माण और उनके हृदय में परमात्मा के प्रति प्रेम उत्पन्न करना है। इसी से विश्व शांति संभव है । इसीलिए डॉ. गांधी विगत 60 वर्षों से सिटी मोंटेसरी स्कूल के माध्यम से प्रत्येक बच्चे को सर्वश्रेष्ठ भौतिक शिक्षा के साथ उन्हें मानवीय एवं आध्यात्मिक शिक्षा भी प्रदान करके विश्व का प्रकाश बनाने के लिए प्रयासरत हैं |