गोरखपुर न्यूज़ : जलवायु संकट से निपटने के लिए प्रभावी अनुसंधान सहयोग की आवश्यकता है – अब, पहले से कहीं अधिक !

आशीष श्रीवास्तव
रीडर टाइम्स न्यूज़ ( ब्यूरो चीफ )

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन जी के दिशानिर्देश में विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल सेल के डायरेक्टर डॉ रामवंत गुप्ता के सौजन्य से भूगोल विभाग दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं भूगोल विभाग, फिजी नेशनल यूनिवर्सिटी, फिजी के मध्य जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक प्रभाव के संदर्भ में शोध को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन माध्यम से एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग से डॉ स्वर्णिमा सिंह, डॉ सर्वेश कुमार, डॉ दीपक प्रसाद ने प्रतिभाग किया और फिजी नेशनल यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ़ सोशल साइंस के हेड, भूगोल विभाग से डॉ रविनेश रोहित प्रसाद ने विचार विमर्श किया। और इस निष्कर्ष पर पहुंचे की भारत और फिजी के मध्य जलवायु परिवर्तन के विषय को लेकर के शोध की अपार संभावनाएं हैं।

जलवायु परिवर्तन के विषय को यूनिवर्सिटी और कॉलेज के कोर्स करिकुलर में अनिवार्य विषय के रूप में जोड़ा जाए। भारत और फिजी की क्लाइमेट चेंज की पॉलिसी की मध्य सामंजस्य बनाया जाए। डॉ स्वर्णिमा सिंह ने बताया कि जलवायु परिवर्तन मुद्दे की जटिलता और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को देखते हुए, हमें जलवायु अनुसंधान के लिए एक अभिनव और प्रभावी अंतःविषय दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता है। दोनों विश्वविद्यालय के मध्य जलवायु परिवर्तन को लेकर शोध एवं प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने के लिए एक्सचेंज प्रोग्राम चलाया जाए। दोनों विश्वविद्यालय एक दूसरे के सहयोग से अपने यहां जलवायु परिवर्तन को लेकर के समय-समय पर सेमिनार एवम ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित करेंगे। डॉ सिंह और डॉ. रोहित दोनों इस बात पर सहमत थे कि हममें कई समान विशेषताएं हैं। द स्मॉल आईलैंड डेवलपिंग स्टेटस (एस आई डी एस) जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित करने और ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए अधिक अंतरराष्ट्रीय महत्वाकांक्षा की वकालत करने में काफी मुखर रहे हैं। भूगोल विभाग, डीडीयूजीयू और फिजी दोनों उन कारकों को उजागर करते हैं जो विषयों और पद्धतियों का विस्तार करने वाले अध्ययनों की समीक्षा के माध्यम से जलवायु परिवर्तन और एसआईडीएस के बीच संबंधों को समझने में सहायक हैं।

हम खतरों, जोखिम और भेद्यता के पैटर्न का आकलन करते हैं; प्रभाव और जोखिम; जागरूकता और ज्ञान; अनुकूलन योजना और कार्यान्वयन; शमन; हानि और क्षति; और जलवायु न्याय, जलवायु परिवर्तन और एसआईडीएस पर साहित्य की व्यापक समीक्षा प्रदान करने के लिए आपसी सहयोग स्थापित करने की आवश्यकता है। डॉ सर्वेश कुमार ने बताया कि भारत और फिजी का सांस्कृतिक सम्बन्ध बहुत पुराना है, दोनो विश्वविद्यालय द्वारा मिलकर जलवायु परिवर्तन का संस्कृति एवं धरोहर पर पड़ने वाले प्रभाव के शोध को बढ़ावा दिया जाए। डॉ दीपक प्रसाद ने बताया कि दोनों विश्वविद्यालय मिलकर जलवायु परिवर्तन का तटीय पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के संदर्भ में शोध को एक नई दिशा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। बैठक के अंत में डायरेक्टर इंटरनेशनल सेल ने भविष्य में फिजी नेशनल यूनिवर्सिटी एवम दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के मध्य जलवायु परिवर्तन को लेकर के शोध एवं आपसी सामंजस्यस को बढ़ावा देने की आशा के साथ सभी के प्रति धन्यवाद एवं आभार ज्ञापित किया।