दुनिया में हर छठा व्यक्ति अकेलेपन का शिकार

रीडर टाइम्स डेस्क
WHO की रिपोर्ट में खुलासा: दुनिया का हर छठा इंसान अकेलेपन का शिकार। हर साल इससे 8.71 लाख मौतें, बढ़ता स्ट्रोक, डिप्रेशन और आत्महत्या का खतरा। अकेलापन सिर्फ इंसान नहीं, समाज और अर्थव्यवस्था पर भी भारी पड़ रहा है …

दुनिया का हर छठवा इंसान अकेलेपन का शिकार हैं इसके चलते शारीरिक बीमारिया भी हो सकती हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के एक कमीशन ने बताया कि इसके चलते दुनिया में सालाना 8.71 लाख मौते होती हैं डब्ल्यूएचओ ने अकेलेपन कि परिभाषा में सामजिक अलगाव को भी शामिल किया हैं

डब्ल्यूएचओ ने बताय कि अकेलेपन के चलते स्ट्रोक ,हार्ट ,अटैक डायबिटीज ,ड्रिप्रेशन ,एंजायटी ,और आत्महत्या का खतरा बढ़ जाता हैं इस स्टडी के मुताबिक़ अकेले रहने वाले टीनएजर अपने अन्य साथियो के मुकाबले फीसदी तक काम गर्द हासिल करते हैं। जबकि अकेले रहने वाले वयस्कों को नौकरी पाने या उसे जारी रखने में ज्यादा चुनौतियां का सामना करना पड़ता हैं।

रिपोर्ट के अनुसार – अकेलेपन का मुख्य कारण स्वास्थ्य ख़राब होना ,कम आय , शिक्षा , अकेले रहना ,कमजोर सामुदायिक ढांचा ,सरकारी नीतियों कि कमी और डिजिटल तकनीकी युवाओ में अधिक स्क्रीन टाइम ऑनलाइन कि दुनिया में नकारात्मक अनुभव मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता हैं।