Home  हेल्थ  प्रेग्नेंसी के दौरान सही तरीके से न सोने पर बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ सकता है बुरा असर 
                               प्रेग्नेंसी के दौरान सही तरीके से न सोने पर बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ सकता है बुरा असर
                                Oct 04, 2019
                                                                
                               
                               
                                
अपने थर्ड ट्राइमेस्टर यानी गर्भावस्था की आखिरी तिमाही के दौरान जो महिलाएं अपनी पीठ के बल सोती हैं, उनके बच्चे के जन्म से समय का वजन कम होने की संभावना अधिक हो सकती है. ऑकलैंड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में ये खुलासा हुआ है.
वैज्ञानिकों ने 1,700 से अधिक महिलाओं पर इसके बारे में शोध किया. उन्होंने इन महिलाओं से पूछा कि पूछा कि वे किस तरह की पोजीशन में सोना पसंद करती हैं. ये सभी महिलाएं कम से कम 28 सप्ताह की गर्भवती थीं.
वैज्ञानिकों ने पाया कि जो महिलाएं पीठ के बल सोई थीं उनके नवजात शिशुओं का औसत वजन 7lbs 8oz (3.41 किग्रा) था. वहीं जो महिलाएं अन्य पोजीशन में सोई थीं उनके बच्चे का औसतन वजन 3.55 किलोग्राम था. अर्थात पीठ के बस सोने वाली महिलाओं के बच्चों का वजन 7lbs 13oz (3.55 किलोग्राम) की तुलना में 5oz (144 ग्राम) पाया गया.
वैज्ञानिकों का दावा है कि गर्भावस्था की आखिरी तिमाही के दौरान पीठ के बल सोने से गर्भ में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे बच्चे के विकास पर रोक लग सकती है. हालांकि पीठ के बल सोने वाली गर्भवती महिलाओं के जोखिमों के परिणाम मिले-जुले रहे हैं. चार स्टडीज में पाया गया कि इस पोजीशन में सोने वाली गर्भवती महिलाओं और जन्म के समय होने वाले बच्चों की मृत्यु के बीच एक कड़ी हो सकती है.
तीसरी तिमाही में साइड करवट लेकर सोएं
बेबी चैरिटी टॉमी ने गर्भवती महिलाओं से सिफारिश की कि वे अपनी तीसरी तिमाही में साइड करवट लेकर सोएं. चैरिटी ने कहा कि इससे अधूरे गर्भ का जोखिम कम होता है और 200 में से एक बच्चे की जन्म के समय मृत्यु की आशंका रहती है. लेकिन पीठ के बल सोने से जोखिम और भी बढ़ सकता है.
यह जानने के लिए कि क्या सोने की पोजीशन जन्म के समय बच्चे के वजन को प्रभावित करती है, वैज्ञानिकों ने इस विषय पर चार स्टडीज को देखा. उन्होंने लिखा, ”महिलाएं रात में सबसे ज्यादा इस पोजीशन में रहती हैं.” अध्ययन में शामिल कुल 1,760 गर्भवती माताओं में से, 57 (3.2 प्रतिशत) ने कहा कि वे पिछले एक से चार सप्ताह के दौरान अपनी पीठ के बल सो रही थीं.
जर्नल ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी में पब्लिश रिजल्ट्स में पाया गया कि इन महिलाओं के बच्चे अन्य शिशुओं की तुलना में छोटे थे. यह सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण था. हालांकि, इन शिशुओं का स्वस्थ ठीक था. मिशिगन विश्वविद्यालय के अनुसार, नवजात शिशुओं के लिए औसत वजन लगभग 7.5lb (3.5 किग्रा) होता है, हालांकि, 5.5lb (2.5kg) और 10lb (4.5kg) के बीच के वजन को सामान्य माना जाता है.
पीठ के बल सोने के अलावा बाईं ओर, दाईं ओर या किसी भी अन्य पोजीशन में सोने वालों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. हालांकि वैज्ञानिकों का दावा है कि ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि उनका अध्ययन अपेक्षाकृत छोटा था. वैज्ञानिकों ने लिखा कि गर्भावस्था के आखिरी समय में पीठ के बल सोने पर माना जाता है कि इससे वेना कावा संकुचित हो जाता है.
वेना कावा एक बड़ी नस जो सिर से हृदय तक रक्त प्रवाह करती है, और महाधमनी, जो शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त पहुंचाती है, को कहते हैं. ये पोजीशन एक महिला के हृदय के रक्त को कम करती है, जिससे भ्रूण में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति कम होती है.
वैज्ञानिकों ने लिखा कि गर्भवती महिलाएं अपनी सोने की पोजीशन को अपनी पीठ से साइड में आसानी से बदल सकती हैं. 2017 में टॉमी ने स्लीप ऑन साइड कैंपन भी शुरू किया था.