भाजपा के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बयान पर पोस्टर फाड़े

भाजपा कार्यकर्ताओं ने शनिवार को देशभर में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। यहां तक कि बीजेपी कार्यकताओं ने जगह-जगह लगे कांग्रेस पार्टी के पोस्टर तक फाड़ डाले। दरअसल, कार्यकर्ताओं का कहना था कि राफेल डील मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनके बयान पर माफी मांगनी चाहिए।बता दें कि राफेल डील को लेकर राहुल गांधी ने अपने चुनावी भाषणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चौकीदार चोर है का नारा दिया था। विरोध बढ़ने और मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने पर राहुल गांधी ने अदालत में बिना शर्त माफी की अर्जी दे दी थी।इस मामले में पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए राहुल गांधी की माफी की अर्जी स्वीकार कर ली थी, साथ ही भविष्य में ऐसी बयानबाजी से बचने की नसीहत भी दी थी। इसी वजह से शनिवार को भाजपा कार्यकर्ता इसी मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के माफी नहीं मांगने से खासे नाराज थे। इस क्रम में कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान नाराज कार्यकर्ताओं ने ना सिर्फ राहुल गांधी के पोस्टर फाड़े बल्कि उनकी तस्वीरों पर कालिख भी पोत दी।

कांग्रेस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

महाराष्ट्र में भी भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा कांग्रेस और राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग करते हुए जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया। राज्य की राजधानी मुंबई में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने एकत्रित होकर नारेबाजी की और प्रदर्शन किया। वहीं, इस दौरान बड़ी संख्या में महिला कार्यकर्तां भी मौजूद रहीं, उनकी भी मांग है कि राहुल गांधी सार्वजिनक रूप से अपने बयान के लिए माफी मांगे। महिला कार्यकर्ताओं के हाथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देवेंद्र फडणवीस के पोस्टर भी नजर आए।

मोदी सरकार को कोर्ट से मिली क्लीन चिट

गौरतलब है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में फ्रांस से हुए 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद मामले को लेकर विपक्ष ने सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। वहीं, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर पुनर्विचार याचिका पर निर्णय देते हुए केंद्र सरकार को क्लीन चिट दे दी है।

इस निर्णय के बाद कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि यह भाजपा के लिए जश्न मनाने का वक्त नहीं है बल्कि आपराधिक जांच को स्वीकार करने का वक्त है।