सुहागिनों के लिए इस साल का करवा चौथ व्रत है खास

नई दिल्ली
मयंक मधुर

सुहाग का यह व्रत करवा चौथ हर साल कार्तिक के पवित्र महीने में संकष्टी चतुर्थी के दिन यानी कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि को किया जाता है। करवा चौथ का व्रत पूरे दिन होता है। इस व्रत में चांद को देखने से पहले व्रतियों को पानी भी नहीं पीना होता है, इसलिए इसे निर्जला व्रत कहा जाता है। रात में चांद को छन्नी से देखने के बाद छन्नी से पति को देखकर, चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा होता है। करवा चौथ का त्योहार हर महिला के लिए बेहद खास होता है, महिलाएं छत पर खड़े होकर चंद्रमा को अर्ध्य देती हैं, और चांद को देखने के बाद पूजा अर्चना करती हैं, महिलाएं इस दिन मंगल व रोहिणी नक्षत्र में पति की दीघार्यु की कामना करेंगी। यह संयोग 70 साल बाद आया है। इस साल व्रत की समयाविधि भी करीब 14 घंटे की रहेगी। करवा चौथ का व्रत इस वर्ष गुरूवार 17 अक्टूबर को है। 70 सालों बाद बन रहा है शुभ संयोग सुहागिनों के लिए फलदायी होगा। इस बार रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग बेहद मंगलकारी रहेगा। करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। करवा चौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला तो करवा और दूसरा चौथ। जिसमें करवा का मतलब मिट्टी के बरतन और चौथ यानि चतुर्थी है। इस दिन मिट्टी के पात्र यानी करवों की पूजा का विशेष महत्व है। करवा चौथ के मौके पर महिलाएं व युवतियों मेहंदी लगवाती हैं। चतुर्थी को दिनभर व्रत करने के बाद शाम को नए- नए कपड़े पहनकर, सज -धजकर 16 श्रृंगार करके अलग अवतार में नज़र आती हैं, फिर चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और भगवान गणेश की पूजा आरती करती हैं।