फेके गए नवजात बच्चो में 67 प्रतिशत बेटियां , चौकाने वाले आंकड़े

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

नवजात बच्चो को फेकने यह का यह पाप किसी भी समाज के लिए एक बड़ी समस्या हैं। पर फेके गए बच्चो में 67 प्रतिशत बेटियों का होना इस समस्या और भी गंभीर बना रहा हैं। और अगर आकड़ो पर गौर करे तो हर साल फेके जाने वाले नवजात बच्चो की संख्या अधिक बढ़ती ही जा रही हैं। और समय वो आ रहा हैं की लोग अनाथाश्रम में डालने के बजाये दरिद्रता से सड़क के किनारे व जंगल की झाड़ियों में डाल दे रहे हैं। अब सवाल यह हैं की बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ , का ये संकल्प कैसे पूरा किया जाएगा। समाज व सामजिक संगठनों का कहना हैं की ,बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ जागरूकता का यह अभियान अधिक सार्थक बनाये जाने की ज्यादा जरुरत हैं। जानकारी के मुताबिक बताते हैं की 2007 -2020 के वर्षो में फेके गए नवजात बच्चो की संख्या बढ़ी हैं।

अभी भी नहीं खत्म हो रहा बेटा -बेटी में फर्क

समाजीकरण इसमें सबसे ज्यादा बड़ी समस्या हैं। आज भी पालन पोषण में लड़का – लड़की में फर्क देखा जाता हैं। आज भी लड़को को घर से बाहर निकलने पर किसी भी चीज पर नहीं टोका जाता हैं। बल्कि उसी जगह पर लड़किओं को बताया जाता हैं की ऐसा करना ,ऐसा नहीं करना हैं , और फिर धीरे धीरे उसकी उम्र बढ़ती जाना यह समाज को नहीं स्वीकार होता हैं। और फिर फेके जाने वाली बेटिओ की बढ़ती संख्या इसी का कारण हैं।