भक्त की भावना जैसी ; भगवान के दर्शन वैसे

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

भगवान् श्री कृष्ण का व्यक्तित्व भारतीय इतिहास के लिए ही नहीं बल्कि विश्व इतिहास के लिए भी एक अलौकिक इतिहास सदा रहेगा। एक ऐसे व्यक्तित्व का इतिहास हैं। जिसकी तुलना न किसी महापुरुष से न किसी ज्ञानी से की जा सकती हैं। भगवान् श्री कृष्ण के जीवन की प्रत्येक लीलाओ में हर एक घटना में एक ऐसा विरोधभास दिखाई देता हैं जो साधारण तौर से समझ नहीं आता हैं। फिर वो चाहे कितना भी बड़ा ज्ञानी व ध्यानी क्यों न हो श्री को खोजते खोजते हार ही जाते हैं। और जो ना तो ब्रहम में मिलते हैं , ना ही वेद की ऋचाओं में वे तो मिलते हैं केवल ब्रजभूमि की किसी कुंज – निकुंज राधारानी के पैरो को दबाते हुए और सबसे महत्वपूर्ण बात यहाँ की ,श्री कृष्ण के चरित्र की विशेषता ही तो हैं जो की अजन्मा होकर भी धरती पर जन्म लेते हैं। बल्कि मृत्युजय होने पर भी मृत्यु का वरण करते हैं। और इतने सर्वशक्तिमान व बलवान ज्ञानी होने के बावजूद भी कंस जो की बहुत ही निर्दयी हैं उसके बंदीगृह में जन्म लेते हैं। कई ज्योतिषाचार्य ने बताया की ,श्री कृष्ण का व्यक्तित्व एव कृतित्व बहुआयामी एव बहुरंगी हैं। अर्थात बुद्धिमान चातुर्य , युद्धनीति , आकर्षण , प्रेमभाव , गुरुत्व ,सुख , दुःख , और अनेको ना जाने कितनी सारी विशेषताओं एव अच्छे लक्षणों को खुद में समेट रखा हैं। एक साधरण से भक्त के लिए श्री कृष्ण भगवान् तो हैं ही पर साथ में गुरु भी हैं। जो व्यक्ति को जीवन जीने की कला का ज्ञान सिखाते हैं। और उन्होंने अपने व्यक्तित्व की विविध विशेषताओं से भारतीय सस्कृति में महानायक का पद भी प्राप्त किया साथ ही एक और वे राजनीती के ज्ञाता , तो दूसरी ओर दर्शन के प्रकांड पंडित थे।