26 जनवरी के प्रोग्राम के लिए कौन होगा मुख्य अतिथि और कैसे किया जाता हैं आमंत्रित ,

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
गणतंत्र दिवस के मौके पर हर साल किसी न किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष को दिल्ली में होने वाले 26 जनवरी के प्रोग्राम के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है. लंबे समय से भारत में यह परंपरा निभाई जा रही है. हालांकि, कोरोना वायरस संकट के चलते पिछले दो वर्ष से गणतंत्र दिवस के मौके पर कोई भी मुख्‍य अतिथि भारत नहीं आ सका है. इस बार रिपब्लिक डे के मौके पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी को भारत में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है.

कैसे होता है मुख्य अतिथि का चुनाव?
26 जनवरी के मौके पर किसे मुख्य अतिथि बनाया जाए, इसको लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय काफी सोच-विचार करता है. चीफ गेस्ट के चुनाव के लिए सबसे पहले ये देखा जाता है कि जिस देश के राष्ट्राध्यक्ष को आमंत्रित किया जाना है, उस देश से भारत के संबंध कैसे हैं? भारत और उस देश का पॉलिटिकल, सैन्य और इकोनॉमिकली कनेक्शन कैसा है? उस देश के राष्ट्राध्यक्ष को बुलाने से किसी और देश से संबंध खराब तो नहीं होंगे. इन तमाम अहम मुद्दों पर विचार करने के बाद विदेश मंत्रालय चीफ गेस्ट का नाम तय करता है.

मिस्र के राष्ट्रपति इस बार के चीफ गेस्ट क्यों?
मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी को गणतंत्र दिवस के मौके पर चीफ गेस्ट बनाने के पीछे कुछ खास वजहें हैं. पहली बात तो ये है कि अफ्रीका में मिस्र भारत का अहम व्यापारिक साझेदार है. 15 अगस्त 1947 को भारत के आजाद होने के महज 3 दिन बाद ही भारत और मिस्र के बीच औपचारिक संबंध स्थापित हो गए थे. पिछले साल 2022 में भारत की आजादी के अवसर पर भारत और मिस्र के औपचारिक संबंधों को 75 साल पूरे हो गए. भारत में मिस्र के राष्ट्रपति का चीफ गेस्ट के तौर पर आना दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगा.

2 साल से नहीं आया कोई चीफ गेस्ट –
बता दें कि इससे पहले, 2021 में ब्रिटेन के तत्कालीन पीएम बोरिस जॉनसन को भारत में चीफ गेस्ट के रूप में बुलाया गया था, पर कोरोना वायरस के हालातों के मद्देनजर उनको अपना दौरा रद्द करना पड़ा था. वहीं, पिछले साल 2022 में किसी भी देश के राष्ट्राध्यक्ष को कोविड-19 संकट को देखते हुए आमंत्रित ही नहीं किया गया था.