रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
- आज लोकसभा में आर्थिक सर्वे पेश हो गया
- वित्त मंत्री ने लोकसभा में आर्थिक सर्वे पेश किया
- आर्थिक सर्वे में विकास दर 6.5 से 7 फीसदी रहने
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त या वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वे सोमवार को सदन में पेश किया। सर्वे में सरकार ने वित्तय वर्ष 2024-25 के दौरान देश की वास्तविक जीडीपी या वृद्धि दर 65.7% रहने का अनुमान जताया हैं। आर्थिक समीक्षा में कहा गया हैं की पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर और निजी निवेश में निरंतर गति से पूंजी निर्माण वृद्धि को बढ़ावा मिला हैं। सकल स्थायी पूंजी निर्माण में 2023-24 में वास्तविक रूप से 1%की वृद्धि का राजकोषीय घाटा जीडीपी के प्रतिशत के रूप में पिछले वर्ष की तुलना 2023 में 1.6% अंक बढ़ा।
महंगाई पर क्या कुछ बोलै गया हैं -महंगाई पर सरकार ने कहा हैं कि बड़े स्तर पर इसे नियंत्रित करने में सफलता मिली हैं लेकिन कुछ खाद्य सामग्रियों कि कीमतों में तेजी के वजह से महंगाई दर बढ़ी हैं सरकार ने बताया कि वित्त वर्ष 2024 के दौरान व्यापार घाटा कम हुआ हैं। मौजूदा समय में यह जीडीपी का 0.7% हैं।
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया हैं कि सरकार के प्रयासों कि वजह से हेल्थकेयर और एजुकेशन सेक्टर बेहतर हुआ हैं सरकार का ध्यान सतत विकास पर हैं महिलाओ पर खासतौर पर ध्यान दिया जा रहा हैं सर्वे में ये भी कहा गया हैं कि भारत में 54 %बीमारियों कि वजह सही भोजन न करना हैं संतुलित आहार के साथ -साथ अलग भोजन कि ओर बढ़ने कि जरुरत हैं।
इकोनॉमिक सर्वे क्या हैं –
इकोनॉमिक सर्वे पिछले वित्त वर्ष का लेखा -जोखा होता हैं। यह एक व्यापक रिपोर्ट होती हैं भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार निर्देश एवं मार्गदर्शन में रिपोर्ट तैयार कि जाती हैं इसे बजट से एक दिन पहले संसद के पटल पर रखा जाता हैं। इस रिपोर्ट से देश कि आर्थिक स्वास्थ्य कि जानकारी पता चली हैं।
नई टैक्स व्यवस्था में बदलाव –
ओल्ड टेक्स व्यवस्था से नई टैक्स व्यवस्था में जाने वाले व्यक्तियों के लिए टेक्स कटौती के संभावित विस्तार का विश्लेषण करना अनिवार्य हैं। स्वास्थ्य बीमा और एनपीएस योगदान जैसे लाभों का विस्तार करके स्वास्थ्य सेवा कि सुलभता बढ़ाने और टैक्सपेयर्स के लिए निवेश को प्रोस्ताहित करने का अवसर दिया जा सकता हैं।
पुरानी टेक्स व्यवस्था –
केंद्रीय बजट में इस बार ओल्ड टेक्स व्यवस्था को लेकर बड़े बदलाव कि उम्मीद कि जा रही हैं इसमें आयकर छूट सीमा को बढाकर 5 लाख रूपये करना शामिल हो सकता हैं एनडीए सरकार पर्सनल टैक्सपेयर्स पर बोझ कम करने के लिए टेक्स स्लैब को सरल बनाने और रेट्र्स को कम करने कि सम्भावना हैं।
धारा 80TTA के लिए सीमा बढ़ाना –
वेतन भोगी व्यक्ति अक्सर अपनी आय को अधिकतम करने के लिए अपने पैसे को विभिन्न बचत और सावधि जमा खातों में आवंटित करते हैं यह अभ्यास यह सवाल उठाताहैं कि क्या सरकार को धारा 80TTA के तहत सावधि जमा समेत बैंक डिपॉजिट्स से प्राप्त ब्याज को शामिल करने पर विचार करना चाहिए इसके अलावा इस समावेशन के लिए सीमा को 10,000 रूपये से बढ़ाकर 50,000 रूपये हो सकते हैं।