सैफुद्दीन सोज के बयान पर तेज हुआ बवाल, बीजेपी-शिवसेना ने कांग्रेस को लिया घेरे में

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श्रीनगर:– जम्मू-कश्मीर पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के विवादित बयान पर बवाल अभी थमा भी नहीं था कि पार्टी के अन्य बड़े नेता सैफुद्दीन सोज ने जम्मू-कश्मीर की आजादी की बात कर विवाद को और तूल दे दिया है। सोज ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि कश्मीर के लोगों की पहली प्राथमिकता आजादी पाना है। इस मुद्दे पर एक ओर से भाजपा और दूसरी तरफ से शिवसेना ने कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है। भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने सोज के बयान की आलोचना की है।

उधर शिवसेना की नेता मनीषा कायांदे का कहना है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी को जवाब देना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता सैफुद्दीन सोज ने एक इंटरव्‍यू के दौरान पाकिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति परवेज मुशर्रफ के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्‍होंने कहा था कि कश्मीरी पाकिस्तान के साथ जुड़ना नहीं चाहते, उनकी पहली इच्छा आजादी है। सोज ने कहा कि यह बयान तब भी सच था और अब भी है। मैं भी ऐसा कहता हूं, लेकिन जानता हूं कि ऐसा संभव नहीं है। हालंकि, बाद में बढ़ते विवाद को देखने के बाद सोज ने इसे अपनी निजी बयान करार दिया है।

जबकि, बीजेपी ने उन्हें पुराने दिनों की याद दिलाई है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने केन्द्रीय मंत्री के तौर पर उन्होंने केन्द्र की सत्ता से फायदा उठाया जब उनकी बेटी का जेकेएलएफ ने अपहरण कर लिया था। ऐसे लोगों की मदद की कोई जरूरत नहीं है। जो लोग भी यहां पर रहना चाहते हैं उन्हें संविधान को मनना होगा। अगर वह मुशर्रफ को पसंद करते हैं तो उन्हें एक तरफ का (पाकिस्तान) टिकट दे दिया जाना चाहिए।

 कश्मीर पर पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के एक विचार का समर्थन करने को लेकर खड़े हुए विवाद के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफ़ुद्दीन सोज ने कहा है कि उन्होंने अपनी किताब में जो बातें कही हैं वो उनकी निजी राय है और इनका पार्टी से कोई लेनादेना नहीं है। सोज ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा, ”किताब में जो बातें मैंने कहीं, वो मेरी निजी राय है। पार्टी से इसका कोई मतलब नहीं है।”

सैफुद्दीन सोज ने कहा कि अगर केंद्र कश्मीर मसले का हल चाहता है, वहां अमन चाहता है, तो उसे कश्मीरियों के प्रति एक ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे वह सुरक्षित महसूस कर सकें। ऐसा माहौल जहां बातचीत को कश्‍मीरी तैयार हो पाएं। बात करने के लिए हुर्रियत ग्रुप से पहले बात होनी चाहिए और उसके बाद मेनस्ट्रीम पार्टियों से बात होनी चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि घाटी में सेना बढ़ाने से सिर्फ कश्मीरी मारे जाएंगे लेकिन यहां शांति स्थापित नहीं हो पाएगी। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस बयान का उनकी पार्टी कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है।

आखिर क्या है पूरे विवाद कि वजह

दरअसल, सोज ने अपनी पुस्तक ‘कश्मीर: ग्लिम्पसेज ऑफ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ स्ट्रगल’ में परवेज मुशर्रफ के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर वोटिंग की स्थितियां होती हैं तो कश्मीर के लोग भारत या पाक के साथ जाने की अपेक्षा अकेले और आजाद रहना पसंद करेंगे। संप्रग सरकार में मंत्री रहे सोज ने यह भी दावा किया कि घाटी में मौजूदा हालात के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों के लिए शांतिपूर्ण माहौल की स्थापना जरूरी है, जिससे यहां के लोग शांति से रह सकें।