अफगानिस्तान में डैम बनाने के लिए भारत ने मदद करने का निर्णय किया, पाकिस्तान है परेशान

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भारत ने काबुल नदी बेसिन पर डैम बनाने में अफगानिस्तान सरकार की मदद करने का निर्णय लिया है। भारत ने पिछले हफ्ते एक बैठक में अफगान सरकार को काबुल के पास शहतूत डैम बनाने में मदद पर सहमति जताई है।लेकिन भारत के इस कदम से पाकिस्तान नाराज हो गया है | पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के कुछ क्षेत्रों में भारत की फंडिंग वाली परियोजनाओं का विरोध किया है। भारत काबुल के पास शहतूत डैम बनाएगा तो इससे नदियों के जल प्रवाह में कमी आएगी |

 

 

दरअसल, काबुल नदी हिंदूकुश पर्वत के संगलाख क्षेत्र से निकलती है और काबुल, सुरबी और जलालाबाद होते हुए पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा चली जाती है। चहर असियाब जिले में काबुल नदी की एक सहायक नदी पर शहतूत डैम बनाने का भारत का प्रस्ताव है, लेकिन पाकिस्तान इस प्रस्ताव का विरोध कर रहा है।

भारत के डैम बनाने के फैसले के बाद नदियों के जल बंटवारे को लेकर पाकिस्तान अफगानिस्तान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। वह काबुल और इसकी सहायक नदियों के जल बंटवारे के लिए द्विपक्षीय संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए कह चुका है। हालांकि, अफगानिस्तान सरकार का इस पर सकारात्मक रुख नहीं है। शहतूत डैम बनाने पर करीब 30 करोड़ डॉलर यानि तकरीबन 21 अरब रुपए से ज्यादा का खर्च आएगा ।

 

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तब भारत ने शहतूत डैम के निर्माण में मदद करने के अपने निर्णय के बारे में अफगानिस्तान को बताया था। काबुल नदी हिंदूकुश पर्वत के संगलाख क्षेत्र से निकलती है और काबुल, सुरबी और जलालाबाद होते हुए पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा चली जाती है। अफगानिस्तान की राजधानी के पास चहर असियाब जिले में काबुल नदी की एक सहायक नदी पर शहतूत डैम के निर्माण का प्रस्ताव है। शहतूत डैम के निर्माण में भारत की मदद की योजना का पाकिस्तान में विरोध शुरू हो गया है। लंबे समय से वह अफगानिस्तान के रीकंस्ट्रक्शन में भारत की भूमिका से नाराज है।

 

 

पाकिस्तान का कहना है कि प्रस्तावित शहतूत डैम और इसकी सहायक नदियों पर इस तरह के प्रॉजेक्ट से उसके यहां जल का बहाव कम हो जाएगा। पाकिस्तान, अफगानिस्तान पर काबुल और इसकी सहायक नदियों के जल बंटवारे के लिए द्विपक्षीय संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बना चुका है। हालांकि, अफगानिस्तान सरकार का इस पर पॉजिटिव रुख नहीं है। शहतूत डैम बनाने पर करीब 30 करोड़ डॉलर का खर्च आएगा। अफगानिस्तान की राजधानी के आस-पास खैराबाद और चहर असियाब में 4,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करने के अलावा, यह काबुल के 20 लाख से अधिक लोगों को पेयजल प्रदान करने में मदद करेगा।