किसान के खेत में गन्ना लगा, धान कैसे खरीदा गया

संवाददाता सौरभ सैनी

रीडर टाइम्स

* प्रदेश में धान खरीद में किया गया संगठित भृष्टाचार सुरेन्द्र पाल सिह बक्शी

लखनऊ -देश के प्रधानमंत्री जहाॅ किसानो की आय 2022 तक दो गुुनी करने के लिए कृत संकल्प है वही योगी सरकार केंद्र सरकार के साथ किसानों के प्रति वफादारी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आए दिन खड़ी रहने का प्रयास करती लेकिन प्रदेश की निरंकुश नौकरशाही सरकार के इस मंशा को पूरा होना नहीं देना चाहती धान खरीद में व्यापक स्तर पर संगठित भ्रष्टाचार किया गया किसानों के धान की खरीद नहीं की गई समय समय पर इसकी सूचना संबंधित अधिकारियों को दी गई संगठन के पदाधिकारी अधिकारियों से मिलकर किसानों की समस्याओं से अवगत कराते रहें लेकिन कोई भी अधिकारी मामले की जांच करने को तैयार नही हुआ सीतापुर के विभिन्न धान क्रय केंद्रों पर उन किसानों से धान की खरीद दिखाई गई जिन किसानों के खेत में वर्तमान समय में गन्ने की फसल लगी है जानकारी देना चाहते हैं कि जब गन्ने की फसल की बुवाई हो जाती है तो वह 1 साल की फसल होती है और मध्य वर्ष में किसी भी प्रकार से उक्त जमीन में धान पैदा किया जाना संभव नहीं यही नहीं धान क्रय केंद्रों पर गैर जनपद का भी धान खरीदा गया जो शासनादेश के पूर्ण रूप से विपरीत है इसकी भी जानकारी जिला खरीद अधिकारी व उप जिला अधिकारी को समय समय पर दी गई लेकिन किसी भी अधिकारी ने इस मामले में कोई भी कार्यवाही करना मुनासिब नहीं समझा यही नहीं जानकारी यह भी प्राप्त हुई है कि धान जिस किसान से खरीदा गया उस किसान के खाते में पैसा न भेजकर किसी दूसरे के खाते में पैसा भेजा गया जो बिचैलियों द्वारा प्राप्त कर लिया है सूत्र बताते हैं कि पूर्व में राष्ट्रीय किसान मंच द्वारा की गई शिकायत की जांच चल रही है लेकिन कोई भी अधिकारी उक्त शिकायत की जांच के संदर्भ में किसी भी प्रकार की जानकारी संगठन को देना नहीं चाहते संबंधित अधिकारी सरकार को लगातार गुमराह कर रहे हैं जिससे जहां किसानों की माली हालत खराब हो रही है वहीं एक संगठित भ्रष्टाचार भी पूरे प्रदेश में फैला हुआ है यही नहीं जिन किसानों से फर्जी धान की खरीद की गई है वहां के मामले में सूत्रों की जानकारी है कि उक्त धान की भरपाई बिहार जैसे राज्य से धान क्रय करके पूर्ण किया जा रहा है सैकड़ों प्रधान बिहार से प्रतिदिन उत्तर प्रदेश आता है लेकिन संबंधित मंडी समिति इसकी जानकारी देने में नाकामयाब है जबकि नियमानुसार जो धान किसी भी जनपद में गैर प्रदेश से आएगा उसकी जानकारी मंडी समिति को देने के पश्चात ही वह धान खाली किया जाएगा तथा उसका समायोजन कहां हुआ है अथवा चावल की बिक्री कहां की गई है इसकी भी जानकारी पूर्ण रूप से मंडी समिति को दी जानी चाहिए लेकिन मंडी समितियों की मिलीभगत से इस पर भी विराम लग गया है जिससे किसानो के साथ कंधा से कंधा मिलाकर दिन खड़ी रहने का प्रयास करती लेकिन प्रदेश की निरंकुश नौकर शाही सरकार के इस मनसा को पूरा होना नहीं देना चाहती इसी का जीता जागता प्रमाण है के धान खरीद मैं वापस स्तर पर संगठित भ्रष्टाचार किया गया किसानों के धान की खरीद नहीं की गई समय समय पर इसकी सूचना संबंधित अधिकारियों को दी गई संगठन के पदाधिकारी अधिकारियों से मिलकर किसानों की समस्याओं से अवगत कराते रहे लेकिन कोई भी अधिकारी मामले की न तो जांच करने को तैयार हुआ और ना ही किसी भी प्रकार की कारवाई काम न करने वाले किसानों को गुमराह करने वाले अधिकारियों हुआ कर्मचारियों फर्जी भी जनपद सीतापुर के विभिन्न धन पर केंद्रों पर उन किसानों से धान की खरीद दिखाई गई जिन किसानों के खेत में वर्तमान समय में गन्ने की फसल लगी हे जानकारी देना चाहते हैं कि जब गन्ने की फसल की बुवाई हो जाती है तो वह 1 साल की फसल होती है और मध्य वर्ष में किसी भी प्रकार से रोक तो जमीन में धान पैदा किया जाना संभव नहीं य धान बिक्री के समय खाद एवं रसद विभाग द्वारा पंजीकरण की व्यवस्था की गई है पंजीकरण प्रपत्र में यह उल्लेख है कि यदि किसान द्वारा दी गई जानकारी मनगढ़ंत व फर्जी पाई जाएगी तो उसके विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कर कार्रवाई की जाएगी लेकिन अधिकारियों की संलिप्तता के कारण उक्त मामले में किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जा रही इसके लिए राष्ट्रीय किसान मंच द्वारा माननीय मुख्यमंत्री मुख्य सचिव मंडलायुक्त लखनऊ जिलाधिकारी सीतापुर को पत्र लिख चुके हैं अब संगठन ने फैसला किया है कि यदि 1 सप्ताह के अंदर कार्यवाही न की गई तो लोकतांत्रिक तरीके से संगठन विरोध करने को विवश होगा।