सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद नहीं सुधर रहे हैं अवैध क्लीनिक संचालक एवं मेडिकल स्टोर

शिवधीश त्रिपाठी
रीडर टाइम्स न्यूज़
प्रशासन व सरकार आए दिन नए नियम लागू करती रहती है. इसका पालन कराने के लिए कड़ाई से कोशिश भी करी जाती है. लेकिन सच्चाई इनसे अलग ही है .तमाम मेडिकल स्टोर संचालक खुद प्रैक्टिस कर रहे हैं .डॉक्टर बनकर मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हैं .जबकि सरकार की गाइडलाइन के अनुसार बगैर फार्मासिस्ट के मेडिकल स्टोर नहीं चला सकते जितने भी फुटकर विक्रेता है .अधिकतर आपको बगैर फार्मासिस्ट के ही मिल जाएंगे केवल नाम के लिए किसी की डिग्री लगी है. और उसके नाम से दवाई बेंची जाती है .और यहां तक कि गंभीर मरीजों का इलाज भी मेडिकल स्टोर पर ग्लूकोज व इंजेक्शन लगाकर शुरू कर दिया जाता है. तमाम नारकोटिक्स दवाइयां भी बगैर पर्चे के ही मरीजों को थमा दी जाती हैं .कई बार तो हताश निराश युवा या महिलाएं गुस्से में पत्ते के पत्ते खाकर खुदकुशी करने की भी कोशिश की करते रहते है. तमाम ऐसी अवैध दवाइयां है. जो मेडिकल स्टोरों पर बगैर डॉक्टर के प्रशिक्षण के नहीं बेचनी चाहिए ऐसा ही मामला एक देखने को मिला है. जिसमें मेडिकल स्टोर संचालक टिंचर नाम की दवाई जो कि आयोडीन और अल्कोहल मिलाकर बनाई जाती है. अगर इसमें मिलावट के साथ बेचा जाए तो इसकी कीमत कई गुना बढ़ जाती है. जबकि इसकी सही मात्रा मिलाकर जो औषध बनाई जाती है. वह एंटीसेप्टिक का कार्य करती है. शशि राज मेडिकल स्टोर शंकरपुर लालपालपुर में धांधली से बिक रहा टिंचर जिसमें इंसानी जिंदगियो से खिलवाड़ किया जा रहा है. मगर प्रशासन ऐसे मेडिकल संचालकों अवैध हॉस्पिटल की कोई सुध नहीं लेता है. और जांच के नाम पर डी आई अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी  मेडिकल स्टोर व डॉक्टरों को परेशान करने का कार्य करते रहते हैं. अब देखना यह है . कि शासन व प्रशासन ऐसे संचालकों पर क्या कार्रवाई करते है.