स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा को देखते हुए, देश में 14 नए AIIMS खोलने का प्रस्ताव

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केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2014-15 के लिए आम बजट पेश करते हुए देश में 4 नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) स्थापित करने की घोषणा की है | बुधवार को हुए कैबिनेट के फैसलों में अल्पसंख्यकों, वृद्धों और किसानों के लिए बड़े फैसले हुए। इन फैसलों की प्रकृति से माना जा सकता है कि आने वाले दिनों में राहत की छतरी कुछ और बड़ी हो सकती है।

 

वरिष्ठ नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने, अल्पसंख्यकों के विकास के लिए कार्यक्रम को लगभग आधे देश में लागू करने और गन्ना किसानों के साथ साथ चीनी उद्योगों को राहत देने का फैसला बड़ा भी है और राजनीतिक महत्व भी रखता है। उन्‍होंने कहा कि सरकार राजधानी दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान की क्षमता बढ़ाने पर भी काम कर रही है। उन्‍होंने बताया कि प्रधानमंत्री स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा योजना के तहत देशभर में खोले जाएंगे 14 नए AIIMS में 1563 नये बिस्‍तरों की व्‍यवस्‍था की जाएगी और मौजूदा 73 चिकित्‍सा संस्‍थानों में सुपर स्‍पेशलिटी ब्‍लॉक, ट्रॉमा सैन्‍टर स्‍थापित कर उनका दर्जा बढ़ाया जाएगा।

 

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने बताया कि कैन्‍सर, मधुमेह, हृदय रोग की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्‍ट्रीय कार्यक्रम के तहत राज्‍यों में 20 कैंसर संस्‍थान और 50 कैन्‍सर देखरेख संस्‍थान खोलने में केन्‍द्र मदद करेगा। नड्डा ने बताया कि देश में खसरा रोग पर अभी पूरी तरह से नियंत्रण नहीं पाया जा सका है । हम लोगों ने 2017 में मीज़ल और रूबेला दोनों का वैक्‍सीनेशन सिंगल डोस में कर दिया है। फाइव स्‍टे्टस में लांच हुआ था पहली दिस ईयर एंड नाओ अदर्स स्‍टे्टस को भी हम फेज बैनर में ले रहे है।

 

उन्होंने कहा, ‘यह संतोष का विषय है कि जोधपुर, भोपाल, पटना, ऋषिकेश, भुवनेश्वर और रायपुर में स्थापित सभी छह एम्स काम करने लगे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मैं इसके लिए 500 रुपये की धनराशि प्रस्ताव करता हूं.’ गौरतलब है कि देशभर में एम्स जैसे संस्थान खोले जाने के प्रस्ताव को मनमोहन सिंह की सरकार ने 2006 में मंजूरी दी थी. भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने 2003 में इसका प्रस्ताव रखा था|

 

अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास के क्षेत्र में बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम 196 जिलों में चल रहा था। अब सरकार ने उसे बढ़ाकर 308 जिलों में लागू कर दिया है। खास बात यह है कि अल्पसंख्यक सघनता के आकलन का मापदंड बदल दिया गया है। अब किसी शहर या जिले में उनकी 25 फीसद संख्या ही सघनता मानी जाएगी। अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए एक विशेष राशि भी सुनिश्चित होगी।

गन्ने पर प्रति क्विंटल साढ़े पांच रुपये या प्रति टन 55 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। यह राशि सीधे किसानों को मिलेगी। देश के अग्रणी गन्ना उत्पादक राज्यों में शुमार कर्नाटक में 12 मई को होने वाले चुनाव की दृष्टि से यह अहम है।

 

हरित क्रांति-कृषि उन्नति योजना के लिए 31 मार्च 2020 तक 33,269 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह योजना गत वर्ष 11 योजनाओं को मिलाकर शुरू की गई थी। अब इसकी मियाद 12वीं पंचवर्षीय योजना से आगे तक बढ़ा दी गई है।