PM Modi ने किया ”स्टेच्यू ऑफ यूनिटी” का अनावरण, देशभर में रन ऑफ यूनिटी का आयोजन

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नई दिल्ली:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज लौह पुरुष और भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की की 143वीं जयंती पर 182 मीटर ऊंची विशाल प्रतिमा ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण किया | यह दुनिया की सबसे ऊंची स्टैच्यू है, इसे गुजरात सरकार ने बनवाया है, इसकी ऊंचाई 182 मीटर है, यह नाम सरदार पटेल की रियासतों को भारत संघ में मिलाने में उनकी अहम भूमिका के सम्मान के तौर पर दिया गया है | इस मूर्ति की ऊंचाई अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी है |

 

 

यह केवडिया से करीब 3 किमी की दूरी पर स्थित है, इस मूर्ति का डिजाइन मशहूर मूर्तिकार राम वंजी सुतार ने किया है और इसे इंजीनियरिंग क्षेत्र की दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने करीब 30 अरब रुपये की लागत से तैयार किया है | वैसे तो इस प्रतिमा को तैयार करने में सामान्य तौर पर 8-10 साल लग जाते, लेकिन एलएंडटी ने इसे 33 माह में तैयार किया है, बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के निदेशक मुकेश रावल ने मूर्ति निर्माण की सबसे बड़ी चुनौती का जिक्र करते हुए कहा, “सरकार पटेल एक दिग्गज व्यक्ति थे | सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि उनकी मुखाकृति, मुद्रा और हाव-भाव को सही तरीके से उकेरा जा सके |”

 

 

आज का दिन होगा ऐतिहासिक:
मोदी ने कहा कि आज जो हुआ वो इतिहास में दर्ज हो गया है और इसे इतिहास से कोई मिटा नहीं पाएगा। आज जब धरती से लेकर आसमान तक सरदार सहाब का अभिषेक हो रहा है तब भारत ने न सिर्फ अपने लिए नया इतिहास रचा है बल्कि भविष्य के लिए प्रेरणा का गगनचुंबी आधार भी तैयार किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा ‘सरदार की प्रतिमा को समर्पित करने का अवसर सौभाग्य की बात है। जब मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर इसकी कल्पना की थी, तो अहसास नहीं था कि एक दिन प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे ही यह पुण्य काम करने का मौका मिलेगा। सरदार साहब के इस आशीर्वाद के लिए मैं खुद को धन्य मानता हूं।’

 

 

सरदार साहब का सामर्थ्य तब भारत के काम आया था जब मां भारती साढ़े पांच सौ से ज्यादा रियासतों में बंटी थी। दुनिया में भारत के भविष्य के प्रति घोर निराशा थी। निराशावादियों को लगता था कि भारत अपनी विविधताओं की वजह से ही बिखर जाएगा। सरदार साहब के इसी संवाद से, एकीकरण की शक्ति को समझते हुए उन्होंने अपने राज्यों का विलय कर दिया। देखते ही देखते, भारत एक हो गया। सरदार साहब के आह्वान पर देश के सैकड़ों रजवाड़ों ने त्याग की मिसाल कायम की थी। हमें इस त्याग को भी कभी नहीं भूलना चाहिए।

 

 

निराशावादियों को भी लगता था कि भारत अपनी विविधताओं की वजह से बिखर जाएगा। निराशा के उस दौर में भी सभी को एक किरण दिखती है। और यह उम्मीद की किरण थे सरदार वल्लभ भाई पटेल। सरदार पटेल में कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी महाराज के शौर्य का समावेश था। उन्होंने पांच जुलाई 1947 को रियासतों को संबोधित करते हुए कहा था- विदेशी आक्रांताओं के सामने हमारे आपसी झगड़े, दुश्मनी, बैर का भाव हमारी हार की बड़ी वजह थी। अब हमें इस गलती को नहीं दोहराना है। और न ही दोबारा किसी का गुलाम होना है। सरदार साहब के इसी संवाद से एकीकरण की शक्ति को समझते हुए राजा-रजवाड़ों ने अपने विलय का फैसला किया। देखते ही देखते भारत एक हो गया।

 

 

पोशाक में मोड़ों को दर्शाना थी चुनौती :
परियोजना निदेशक रावल ने बताया, “सरदार पटेल की मूर्ति की पोशाक में मोड़ों को दर्शाना भी के चुनौती थी और इसे स्थिर ही नहीं दिखाना चाहिए था |” उन्होंने बताया, ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को इस तरह से डिजाइन किया गया है यह तटीय क्षेत्रों में 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार वाली हवाओं को सह सके, इस परियोजना के लिए चरणबद्ध तरीके से मंजूरी लेनी थी लेकिन कंपनी ने जोख़िम लेते हुए अक्सर बिना इंतजार किए काम आगे बढ़ाया |