इजरायल का मोसाद ले उड़ा ईरान का परमाणु रहस्य, साढ़े 6 घंटे में वारदात को दिया अंजाम

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इजरायली खुफिया एजेंसी के एजेंट ईरान के परमाणु कार्यक्रम से संबंधित 50 हजार पन्ने, 163 कॉम्‍पैक्‍ट डिस्‍क और वीडियो लेकर फरार हो गए | इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान के परमाणु कार्यक्रमों से जुड़े अहम दस्तावेज कुछ समय पहले रात के अंधेर में चुरा लिए थे। हर कदम की स्क्रिप्ट पहले ही लिखी जा चुकी थी।

 

 

मोसाद एजेंट्स को पता था कि तेहरान में मौजूद गोदाम में घुसने से पहले अलार्म को निष्क्रिय करने, दो दरवाजों को पार करने और दर्जन भर तिजोरियों के ताले तोड़कर उनमें मौजूद खुफिया दस्तावेज निकालने में उन्हें कितना समय लगेगा। यह सब करने में उन्हें कुल 6 घंटे 29 मिनट का समय लगा। हर कदम की स्क्रिप्ट पहले ही लिखी जा चुकी थी। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।

 

एक साल तक गोदाम की निगरानी करने के बाद इजरायल को यह पता लग गया था कि ईरानी गार्ड मॉर्निंग शिफ्ट में सुबह 7 बजे आते हैं। ऐसे में एजेंट्स को स्पष्ट आदेश दिए गए थे कि वे सुबह 5 बजे तक किसी भी कीमत पर गोदाम से निकल जाएं, ताकि उनके पास भागने के लिए पर्याप्त समय रहे। मोसाद के एजेंट सीमा की तरफ भागे और अपने साथ 50 हजार पन्ने, 163 मेमोज वाली कॉम्पैक्ट डिस्क, विडियो और प्लान ले गए।

 

 

ऑपरेशन अवधि में उन्होंने वेयरहाउस के अलार्म को बंद कर दिया, दो दरवाजों को तोड़ा, दर्जनों तिजोरियों के दरवाजों को जलाकर खोला और कई सीडी, दस्तावेज लेकर निकल गए। मोसाद ने सिर्फ साढ़े छह घंटे में ईरान के एटमी प्रोग्राम से जुड़े करीब 5 क्विंटल दस्तावेज चुरा लिए। इन्हीं दस्तावेज के आधार पर इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान पर परमाणु समझौते के उल्लंघन के आरोप लगाए थे।

 

 

माना जा रहा है कि एटमी प्रोग्राम से जुड़े किसी शख्स ने इसराईल की मदद की है। इस शख्स ने मोसाद को बताया कि कौन सी तिजोरी काटनी है। वेयरहाउस में सैकड़ों तिजोरियां थीं, जिन्हें छुआ भी नहीं गया। मोसाद के एजेंट्स के पास आग लगाने वाली ऐसी टॉर्चें थीं जो 2000 डिग्री सेल्सियस की गर्मी पैदा कर आग लगा सकती हैं। इनकी सहायता से उन्होंने तिजोरियों के दरवाजों को जला दिया।

 

 

ऑपरेशन के दौरान मोसाद ने सिर्फ उन्हीं तिजोरियों को खोला जिनमें परमाणु कार्यक्रम के कागजात रखे थे। जिन तिजोरियों में ऐसे कागजात नहीं थे उन्हें छुआ भी नहीं गया । 2015 में ईरान के परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से ही इजरायल तेहरान में संदिग्ध न्यूक्लियर साइट पर नजर रख रहा था। इजरायल का दावा था कि ईरान ने देशभर से एटमी प्रोग्राम के दस्तावेज एक वेयरहाउस में जमा किए हैं। किसी को शक ना हो, इसलिए यहां हर वक्त पहरा नहीं होता है।

 

 

प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने मोसाद से मिले दस्तावेज के आधार पर मई में मीडिया के सामने प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने कहा था- अब साबित हो चुका है कि ईरान ने परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर के बाद से ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की आंखों में धूल झोंकी। वह हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है।

 

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अप्रैल के आखिर में, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को जानकारी देने के बाद इस चोरी से मिले परिणामों के बारे में घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह एक और कारण है जिसकी वजह से ट्रंप को साल 2015 में हुए ईरान परमाणु समझौते से बाहर हो जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इन दस्तावेजों से ईरान की धोखाधड़ी और उसके दोबारा बम बनाने का इरादा साफतौर पर दुनिया के सामने है।

 

 

कुछ दिन बाद, ट्रंप ने ईरान समझौते से अलग होने का ऐलान कर दिया। यह एक ऐसा कदम था जिसके बाद अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों के रिश्तों में भी तनाव आ गया। बीते हफ्ते, इजरायली सरकार के न्यौते पर तीन रिपोर्टर्स ने यह दस्तावेज देखे, इनमें से एक न्यू यॉर्क टाइम्स का रिपोर्टर भी था। इन दस्तावेजों से स्पष्ट है कि भले ही ईरान यह कहता आया हो कि वह शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु कार्यक्रम पर काम कर रहा है लेकिन यह देश काफी समय से परमाणु बम बनाने की दिशा में काम कर रहा है।

 

 

न्यूक्लियर इंजिनियर और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के पूर्व इंस्पेक्टर रॉबर्ट केली ने कुछ दस्तावेजों को देखने के बाद कहा, ‘इन दस्तावेजों से यह साफ पता लगता है कि ये लोग परमाणु बम बनाने के लिए काम कर रहे हैं।’ अभी तक इन दस्तावेजों की सत्यता की पुष्टि नहीं की जा सकी है। इनमें से कई दस्तावेज तो 15 साल तक पुराने हैं। इजरायलियों ने यह दस्तावेज रिपोर्टर्स को दिखाते समय यह भी कहा कि कुछ पन्ने इसलिए सार्वजनिक नहीं किए जा रहे हैं ताकि किसी और के पास परमाणु हथियार बनाने से संबंधित जानकारी न पहुंचे।

 

 

उधर, ईरान का कहना है कि यह पूरी कहानी फर्जी है। कुछ ईरानियों के मुताबिक, यह सबकुछ इजरायल जानबूझकर कर रहा है जिससे उनके देश पर दोबारा प्रतिबंध लगा दिए जाए। हालांकि अमेरिकी और ब्रिटिश खुफिया अधिकारियों ने इन दस्तावेजों को देखने और कुछ पुराने दस्तावेजों से तुलना करने के बाद माना है कि ये असली डॉक्युमेंट्स हैं ।

 

 

इजरायल ने जिन पत्रकारों को ये रिपोर्ट्स दिखाई, उनमें वॉशिंगटन पोस्ट और वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार भी शामिल हैं। इसके आधार पर कहा गया है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम स्पष्टतौर पर विशालकाय हथियार बनाने पर केंद्रित है। इसके अलावा 2003 में जब प्रॉजेक्ट अमद को खत्म करने की घोषणा की गई, उसकी तुलना में यह काफी सुनियोजित है। इन दस्तावेजों के अनुसार ईरानी मिसाइल शहाब-3 के वॉरहेड के तौर पर परमाणु हथियार तैयार किया जाना बड़ी चुनौती है।

 

 

एक दस्तावेज से परमाणु परीक्षणों के लिए संभावित अंडरग्राउंड साइट की भी जानकारी दी गई है। इसमें स्पष्ट जानकारी दी गई है कि ईरान पहले बैच में पांच हथियार बनाएगा। हालांकि अब तक कोई नहीं बना क्योंकि उन्हें डर था कि वे पकड़े जाएंगे या अमेरिकी और इजरायली खुफिया एजेंसियां उनकी कोशिशों पर पानी फेर सकती हैं।

 

 

पूर्व इंस्पेक्टर और इंस्टिट्यूट फॉर साइंस ऐंड इंटरनैशनल सिक्यॉरिटी संचालित करनेवाले डेविड अलब्राइट ने एक साक्षात्कार में कहा कि इन दस्तावेजों में ‘महत्वपूर्ण जानकारी’ है। पिछले महीने उन्होंने कांग्रेस को बताया, ‘पहले से हमें जैसी जानकारी है, ईरान ने परमाणु हथियारों को बनाने से संबंधित उससे कहीं ज्यादा शक्तिशाली परीक्षण किए हैं।’

 

इजरायल दावा करता रहा है कि 2003 के बाद भी ईरान का कार्यक्रम जारी रहा। दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि ईरान के इस कार्यक्रम में शामिल कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की कथिततौर इजरायली एजेंट्स ने हत्या कर दी थी।