‘दिहाड़ी मजदूरों को लेकर स्पेशल ट्रेन पहुंची लखनऊ,

संवाददाता अमित पांडेय

रीडर टाइम्स

“देर आयद दुरुस्त आयद”

1- नासिक से आई ट्रेन को अधिकारियों ने किया रिसीव
2- मजदूरों का मेडिकल चेक अप करने के बाद उनके गृह जनपद किया गया रवाना

लखनऊ :  देशभर में जारी लॉक डाउन के बीच प्रधानमंत्री के निर्देश पर ट्रेन द्वारा मजदूरों को एक राज्य से दूसरे राज्य उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाया जा रहा है। नासिक से चली स्पेशल ट्रेन 850 मजदूरों को लेकर आज लखनऊ के चारबाग स्टेशन पर पहुंच गई दूरदराज से आए मजदूरों को क्वॉरेंटाइन करने के बाद ही उनके घरों के लिए रवाना किया जाएगा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर भारत सरकार ने एक सीक्रेट मिशन की तरह देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे दिहाड़ी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए एक ऐसी योजना बनाई जिसमें बिना किसी शोर-शराबे के मजदूरों को किसी राज्य से दूसरे राज्य तक ट्रेनों द्वारा पहुंचा दिया गया। और किसी को यहां तक मीडिया को भी इसकी खबर तक न लगने दी गई। इस बारे में संबंधित विभागीय मंत्री और जुड़े अधिकारियों के अलावा किसी को भी इस मिशन की भनक तक नहीं लगी। जब ट्रेनें मजदूरों को लेकर रवाना होने लगी तभी लोग इसके बारे में जान पाए ।यहां तक ट्रेनों के रवाना होने और गंतव्य पर पहुंचने का समय भी ऐसा रखा गया जब आम जनमानस इस दौरान स्टेशन ना पहुंच सके। महाराष्ट्र में ट्रेन संबंधित गलत खबर के चलते वहां के रेलवे स्टेशन पर जमा भारी भीड़ और अफरा-तफरी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने बेहद गोपनीय तरीके से मजदूरों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचाने में सफल रही है लखनऊ पहुंची स्पेशल ट्रेन जैसे ही सुबह चारबाग स्टेशन के अंदर दाखिल हुई वहां पहले से मौजूद मेडिकल टीम ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए प्रत्येक मजदूर की थर्मल स्क्रीनिंग को अंजाम दिया। जिसके बाद उनको बिना किसी शोर-शराबे के स्टेशन से बाहर लाया गया जहां पहले से तैयार खड़ी सैनिटाइज्ड  रोडवेज बसों के माध्यम से मजदूरों को उनके गृह जनपद मुख्यालय भेज दिया गया है। जहां उन्हें 14 दिनों तक के लिए क्वॉरेंटाइन किया जाएगा जिसके बाद ही वह अपने-अपने घरों को जा सकेंगे। लखनऊ पहुंचने वाले 850 श्रमिकों के चेहरों पर मुस्कान  देखकर साफ लग रहा था कि अब वह सुरक्षित हैं । लौटने वाले लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। कुछ मजदूरों ने मीडिया के साथ अपने दिल दहला देने वाली बातों को भी शेयर किया कि किस तरह से इतने दिनों तक बिना पैसे बिना खाने के भूखमरी वाले दिनों का सामना किया। लेकिन कहते हैं ना कि “देर आयद दुरुस्त आयद” भले ही देर से सही लेकिन अब वह अपने घर लौट आए हैं जहां जीने की गुंजाइश पहले से कहीं ज्यादा है।