आखिर किन वजहों से प्रभावित होता हैं ; मानसून जानते हैं एक्सपर्ट की राय ,

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

भारत में अगस्त के दौरान मानसून के कमजोर पड़ने और कई इलाकों में सूखे की स्थिति पैदा होने के लिए उत्तरी अटलांटिक महासागर से उठने वाली लहरें भी जिम्मेदार हो सकती हैं। भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) के वायुमंडलीय और महासागरीय विज्ञान केंद्र यानी सीएओएस के विज्ञानियों की टीम ने व्यापक शोध के बाद यह जानकारी सार्वजनिक की है। इस शोध में जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने भी मदद की है। यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका साइंस में भी प्रकाशित हुई है।हर सूखे के लिए अल-नीनो नहीं जिम्मेदार

मानसून की वजह से मध्य जून से मध्य सितंबर तक देश के बड़े हिस्से में ठीकठाक बारिश होती है। भारत में खेतीबारी बहुत हदतक मानसून के भरोसे होती है। अगर इन महीनों में बारिश नहीं होती है तो देश में सूखे की आशंका गहरा जाती है। माना जाता है कि अल-नीनो के कारण बारिश प्रभावित हुई है। अल-नीनो एक ऐसी जलवायु घटना है, जिसमें असामान्य रूप से गर्म भूमध्यवर्ती प्रशांत जल क्षेत्र नमी से भरे बादलों को भारतीय उपमहाद्वीप से दूर खींचता है। टीम ने वर्ष 1900 से 2015 तक भारत में पड़े कुल 23 सूखे का विश्लेषण किया। इस दौरान पाया गया कि सूखे की 10 घटनाएं उन वर्षों में हुईं, जब अल-नीनो सक्रिय ही नहीं हुई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर इन महीनों में मानसून कमजोर क्यों पड़ता है।

फिर क्यों पड़ता है सूखा

सीएओएस के एसोसिएट प्रोफेसर व अध्ययन के वरिष्ठ लेखक जय सुखात्मे के हवाले से आइआइएससी ने एक बयान में बताया, ‘हमने यह जानने का प्रयास किया कि अगस्त के आखिर में बारिश को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं। हमने उन हवाओं पर भी गौर किया जो अल-नीनो की अनुपस्थिति में सक्रिय थीं।’ सीएओएस के एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक लेखक वी वेणुगोपाल के अनुसार, ‘अध्ययन के दौरान हमने पाया कि अगस्त के आखिर व सितंबर की शुरुआत में उत्तरी अटलांटिक के बेहद ठंडे पानी के ऊपर वायुमंडलीय स्थितियों के कारण विक्षोभ पैदा होता है। यही विक्षोभ यानी भूमंडलीय लहरें भारत की ओर बढ़ने के क्रम में तिब्बती पठार से टकराती हैं और इसके कारण अपने देश में मानसून प्रभावित होता है।’