क्या आपको पता हैं यह चलन कब से शुरू हुआ ; लेकिन बात सोचने वाली हैं ,

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
बिना फॉल लगवाए कोई भी साड़ी क्यों नहीं पहनता? क्या आपको इस सवाल का जवाब पता है? दरअसल ये बात सोचने वाली है इसलिए इसका जवाब जानना नॉलेज बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी है. तो आइए अब जानते हैं कि क्यों साड़ी में फॉल लगवाई जाती है और साड़ी में फॉल लगवाने का सही तरीका क्या होता है.

फैशन बदला-जमाना बदला लेकिन साड़ी आज भी सुपर हिट फैशन के मायने और परिभाषाएं समय के साथ बदल गई हैं. आजकल फैशन के नाम पर भोंडा प्रदर्शन होने लगा है. ऐसे में महिलाओं की साड़ी आज भी अपना वजूद बचाने के साथ खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने में किसी और ड्रेस से पीछे नहीं है. साड़ी भारत में पहनी जाने वाली वो परम्परागत पोशाक है. जिसकी तुलना किसी और चीज से नहीं हो सकती है. साड़ी पहनकर हर महिला की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं.

हर चलन के पीछे कोई ना कोई कहानी जरूर होती है, जिसे इतिहास के साथ जोड़ा जाता है. तो साड़ी भी इस लिहाज से अलग नहीं है. साड़ी अलग अलग कपड़ों और अनेक डिजाइनों से बनती है. उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक की साड़ियों का क्रेज पूरी दुनिया में महिलाओं के सिर पर चढ़कर बोलता है. अलग-अलग आयोजनों में पहनने के लिए अलग-अलग तरह की साड़ियां होती हैं. भारत में साड़ियों के इतने प्रकार है कि उनके नाम और खासियत जानते-जानते आप थक जाएगें लेकिन बोर नहीं होंगे.

साड़ी और फॉल जैसे चोली-दामन का साथ:
घर-घर में मौजूद महिलाओं के वार्डरोब में यूं तो कई तरह की ड्रेस होती हैं. कुछ चीजें एक दूसरे की पूरक होती हैं. जैसे साड़ी के साथ ब्लाउज पहना जाता है वहीं साड़ी के साथ फॉल न हो तो भी उसे अधूरा माना जाता है. ऐसे में आपको बताते हैं साड़ियों के निचले हिस्से में लगाई जाने वाली फॉल का चलन कब से शुरू हुआ.

How to stitch saree falls | VibhasFashion

समस्या ही समाधान की जननी है!
एक रिपोर्ट के मुताबिक साड़ी में फॉल लगाने की परंपरा करीब 1970 के आस-पास शुरू हुई. जिसके एकमात्र वजह साड़ी के कपड़े की सुरक्षा थी. दरअसल महिलाएं जब बिना फॉल की साड़ियां पहनती थीं तो बहुत जल्द ही उसका कपड़ा मुड़कर खराब हो जाता था. खासकर भारी साड़ियों का निचला हिस्सा जमीन से घिसकर खराब होने लगता था. इस समस्या से निजात पाने के लिए दर्जी और एक्सपर्ट ऐसी तरकीब खोजने लगे ताकि लंबे समय तक साड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. साड़ियों के मुड़कर पाइप बनने की समस्या का तोड़ उनमें प्रेस यानी आयरन करके निकाला गया. लेकिन घिसकर फटने वाली समस्या जस की तस बनी हुई थी. यही दिक्कत पुरुषों के पैंट में भी आती थी. ऐसे में कारगर समाधान बेलबॉटम पैंट के बॉटम पर तब अपनाया गया जब उसके किनारों पर मेटल की चेन लगाई जाने लगी

बेलबॉटम पैंट की मोहरी पर तो चेन वाला उपाय काम कर गया. लेकिन साड़ियों में इतनी लंबी चैन लगाना कुछ अतार्किक और बेहद महंगा उपाय था. यानी रईस लोगों के लिए ये उपाय आसान था पर गरीब या लो मिडिल क्साल घरों के लिए साड़ियों में चेन लगवाना सबके बस की बात नहीं थी ऐसे में ढेरों शोध के बाद देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में साड़ी के निचले हिस्से पर फॉल लगाने का आइडिया इजाद किया गया. जो साड़ियों के नीचे ठहरने में मदद करता और उसे खराब होने से भी बचाता है.

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घर में फॉल कैसे लगाएं?
सबसे पहले साड़ी को खोल कर उल्टी तरफ घुमा लें. इस बात का ध्‍यान रखें कि साड़ी में फॉल नीचे की साइड लगाई जाए. इसके बाद आपको नीचे से 10 इंच साड़ी को छोड़ कर फॉल लगानी शुरू करनी है. ऐसा इसलिए ताकि फॉल से आपकी लोअर प्‍लेट्स कवर हो जाएं. अगर साड़ी में नीचे बॉर्डर लगा हुआ है, तो पहले आपको उसे साड़ी से निकालना होगा और फिर फॉल लगानी होगी. यदि आप बॉर्डर पर ही फॉल लगा देंगी, तो साड़ी में झोल आ जाएगा. फॉल लगाने के बाद आप बॉर्डर को दोबारा से स्टिच कर सकती हैं. फॉल लगाते वक्‍त हमेशा साड़ी के नीचे कोई सख्त चीज रखें और छोटे-छोटे टांके ही लगाएं. फॉल की तरह आपको धागा भी मैचिंग का ही चुनना चाहिए. इससे साड़ी के ऊपर फॉल की स्टिच नजर नहीं आएंगी. इस तरह से आप पूरी साड़ी में आसानी से फॉल लगा सकती हैं.