दिवाली की रौनक में नूर बनेंगे मिट्टी के दीये – कुम्हारो की चाक की रफ्तार बड़ी !

पुनीत शुक्ला
रीडर टाइम्स न्यूज़

दीपावली की रौनक बिन दीया अधूरी है। भले ही आधुनिकता के चलन में दीयों का स्थान रंग-बिरंगी झालरों ने ले लिया हो। परंतु, दीयों का क्रेज आज भी कम नहीं है। बल्कि, दीपावली पर्व के समीप आते ही इन लोगों के यहां चाक का पहिया तेजी से घूमने लगा है। दीपावली पर्व पर मिट्टी के दीयों की एक अलग की धार्मिक मान्यता रही है। मद्धिम सा जलता हुआ मिट्टी का दीया परंपरा को जीवित रखकर तमसो मा ज्योतिर्गमय का संदेश देता है। इस पुरातन परंपरा के जीवित रहने के कारण ही कुम्भकारों के आंगन में परंपरागत रूप से चाक पर दीये का निर्माण हो रहा है। इस वर्ष चाइनीज झालर की बजाय मिट्टी के दीयों की ही मांग तेज है तो पुश्तैनी दीया निर्माता कुम्हारों के सामने मिट्टी को लेकर संकट होने लगा है। दीया निर्माण के लिए काली और चिकनी मिट्टी की जरूरत होती है। इसकी कमी का असर यह है कि कभी पच्चीस रुपये के 100 मिलने वाले दीये इस बार महंगे बिकने की उम्मीद है। कुम्हार भी इस पर्व से बेहद उम्मीदें लगाए बैठें हैं कि उन लोगों को मुनाफा होगा तो उनकी भी दिवाली अच्छी होगी।

दीपावली पर्व पर दीये जलाना शुभ –
भले ही अधिकांश घरों के छज्जों पर बिजली की झालरें रंग-बिरंगी रोशनी बिखेरती हों, पर जिन घरों के मुंडेरों पर मिट्टी के दीये झिलमिलाते रोशनी की छटा बिखरेती हैं वह मन को तो लुभाते ही हैं। इससे इतर पिहानी सामुदायिक शास्त्र केंद्र के अधीक्षक डॉक्टर जितेंद्र श्रीवास्तव व नेत्र चिकित्सक शफीउल्ला खान बताते हैं कि दीपावली पर्व पर सरसों तेल का दिया जलाना शुभ है और स्वास्थ्य के साथ-साथ आंखों की रोशनी के लिए भी लाभकारी है। जबकि, झालरों की रोशनी बनावटी तो लगती ही है। वहीं, उससे होने वाले खतरे से भी लोग अनजान बने हुए हैं।

गत वर्ष के भाव ही बिक रहे दीये –
कुम्हार अश्वनी रामसागर ने बताया कि मिट्टी के दियों के भाव गत वर्ष की भांति ही हैं, उनमें कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। लालबाबू, मैनू आदि बताते हैं कि शहर की बस्ती बढ़ी है तो डिमांड भी बढ़ी है। पर दियों के भाव गत वर्ष की भांति ही हैं। छोटे साइज के दिये 60 रुपये प्रति सैकड़ा व बड़े दिये 3 सौ रुपये प्रति सैकड़ा के भाव बेचे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कस्बे में तालाब समाप्त हो जाने के बाद से ग्रामीण क्षेत्र की मिट्टी को उपयोग में लिया जाता है। उन्होंने कहा कि कइयों ने इस कारोबार से नाता तोड़ लिया है। पर वे अभी भी इस पुश्तैनी धंधे को निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दीपावली पर अच्छी बिक्री होने से मुनाफा ठीक हो जाता।