रीडर टाइम्स डेस्क
उत्तराखंड की बहु चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में भाजपा नेता और पूर्व मंत्री के बेटे पुलकित आर्य समेत तीन को कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई पुलकित के अलावा उसके दो कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को भी सजा सुनाई गई …

- 3 साल बाद अंकिता भंडारी को इंसाफ
- अंकिता भंडारी को मिला इंसाफ हथियारों को मिला उम्र कैद की सजा
- अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोर्ट का बड़ा फैसला
- लंबे इंतजार के बाद अंकिता भंडारी को इंसाफ तीनों दोषियों को उम्र कैद सजा
उत्तराखंड की चर्चित अंकित भंडारी हत्याकांड में तीनों दोषियों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट द्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायालय की जज रीना नेगी ने आरोपी पुलकित आर्य सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई। इस हाई प्रोफाइल मामले घटना के 2 साल 8 महीने 12 दिन कोर्ट से फैसला आया। कोर्ट ने फैसला देते हुए मुख्य अभियुक्त पुलकित आर्य पर कुल 72000 का अर्थ दंड सौरभ भास्कर पर अंकित गुप्ता पर भी ७२-72 अर्थ दंड लगाया। राज्य सरकार की प्रतिकार योजना के तहत पीड़िता के परिजनों को चार लाख रुपये प्रतिकार दिलाए जाने का आदेश भी कोर्ट ने दिया है।
3 साल पुराने इस केस में उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश की नजरे कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही थी। सुनवाई के दौरान सुरक्षा के मध्य नजर कोर्ट परिसर के 200 मीटर के दायरे को पुलिस ने सील कर दिया गया। सिर्फ वकील केस से जुड़े पक्ष और जरूरी स्टाफ को ही अंदर जाने की अनुमति थी। इलाके में भारी पुलिस बल तैनात है।
2022 में हुई थी हत्या –
ऋषिकेश के करीब वंतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करने वाली 19 वर्षीय अंकिता की सितंबर 2022 में रिजॉर्ट संचालक पुलकित राना अपने दो अन्य कर्मचारियों के साथ कथत तौर पर जिला नहर में धक्का देखकर हत्या कर दी थी। शुरुआती जांच में सामने आया कि रिसोर्ट में एक वीआईपी अतिथि को एक्स्ट्रा सर्विस देने से अंकिता ने मना कर दिया था और इसी से उपजे विवाद के चलते उसकी हत्या कर दी गई। भाजपा के पूर्व नेता का पुत्र आर्य और दो अन्य आरोपी अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर इस समय जेल में बंद है।
47 की गवाही –
विशेष जांच दल (एसआईटी ) ने मामले की जांच की और 500 पेज की चार्ज शीट दाखिल की जिसमें 97 गवाह गवाहों को शामिल किए गए। केस ट्रायल पर आया तो इनमें से 47 गवाह होने कोर्ट में अपनी गवाही दी। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी ) की धारा 302 (हत्या ) २०१,( साक्ष्य मिटाना ) 354 ए (छेड़छाड़ और लज्जा भंग )और अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम के तहत आरोप तय किए गए। जिस पर ट्रायल के बाद कोर्ट ने यहां फैसला दिया।