रीडर टाइम्स डेस्क
देश में वह कौन से राज्य हैं जहां सबसे ज्यादा लोग जान दे रहे हैं महिला और पुरुष क्यों कर रहे हैं सुसाइड क्या दोनों के जान देने के कारण एक जैसे हैं या अलग-अलग है समिति के विचार को कैसे मार दे …

हर दिन इस तरह की खबरें पढ़ने और सुनने को मिलती है कि देश में आत्महत्या के आंकड़े डारने वाले हर दिन 468 से ज्यादा लोग जान दे रहे हैं। जिनमें 72% संख्या पुरुष की है। हर साल मई को मेंटल हेल्थ अवेयरनेस मंथ के तौर पर मनाया जाता है इस बार मेंटल हेल्थ अवेयरनेस मंथ की थीम है। इन एवरी स्टोरी देयर्स स्ट्रैंथ इस बार अवेयरनेस मंथ में पुरुषों की मेंटल हेल्थ को विशेषज्ञ की विशेष जोर दिया जा रहा है।
2022 में 1 लाख 71 हजार लोगों ने आत्महत्या की थी। देश में सुसाइड रेट ने रिकॉर्ड तोड़ दिया। इसी के साथ दुनिया में सुसाइड करने के मामले में भारत टॉप पर आ गया। जान देने वालों में 22 हजार 724 पुरुष थे और 48 हजार 286 महिलाएं पुरुषों की भावनात्मक अनदेखी और पुरुषों में बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर चिंता में डाल दिया है। सवाल यह है कि देश में वह कौन से राज्य हैं जहां सबसे ज्यादा लोग जान दे रहे हैं महिला और पुरुष क्यों कर रहे हैं सुसाइड क्या दोनों के जान देने के कारण एक जैसे हैं या अलग-अलग है। आत्महत्या की सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र ,तमिलनाडु और मध्य प्रदेश से आए हैं जबकि सबसे अधिक आत्महत्या दर वाले राज्यों में सिक्किम ,अंडमान एंड निकोबार और पुडुचेरी शीर्ष पर है।
क्या है सुसाइड के कारण –
माने तो सबसे ज्यादा संख्या उन लोगों की है जो पारिवारिक समस्याओं 31.7% और बीमारियों 18.4% से तंग आकर जान दे रहे हैं। इसके अलावा लोग नशे की लत , शादी संबंधी समस्या ,प्रेम संबंध में अनबन , वित्तय नुकसान , बेरोजगारी हिस्सा हुआ ब्लैकमेलिंग पेशेवर ,कैरियर संबंधी समस्याएं ,मानसिक विकार ,अकेलेपन की भावना और संपत्ति विवाद के चलते जान गवा रहे हैं।
पुरुष और महिलाओं के अलग-अलग कारण –
महिलाएं –
पारिवारिक समस्याएं जैसे दहेज की मांग , बार-बार शादी टूटना ,सामाजिक प्रतिष्ठा का भय , घरेलू हिंसा जैसी समस्याओं से तंग आकर अपनी जान दे देती हैं।
पुरुष –
नौकरी से निकल जाने व्यापार में घाटा ,कर्ज में डूबने ,संपत्ति विवाद ,प्यार में नाकाम रहने ,इंटरव्यू या किसी परीक्षा में फेल होने पर मौत को गले लगाते हैं।
जिंदगी बचाने के लिए क्या किया जाए –
पुरुष की मेंटल हेल्थ को सामने और सहयोग करना कभी इतना जरूरी नहीं रहा लेकिन अब हम सबको इस दिशा में आगे बढ़ना होगा। मेंटल हेल्थ संबंधी बातचीत को नॉर्मलाइज करना होगा। मौजूदा वक्त में घर और कार्य स्थल दोनों जगह ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है। जो लोगों को भावनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करें। अब वक्त आ गया है जो पुरुषों को भी रूढ़िवादिता और अपनी छुट्टी तोड़नी होगी समाज को उनसे बात करनी होगी।
नकारात्मक विचार आए तो क्या करें –
परिवार दोस्त या किसी विश्वसनीय व्यक्ति से अपनी भावनाओं को शेयर करें
मनोचिकित्सा काउंसलर से संपर्क
देश में कई हेल्पलाइन है जो 24/7 करते हैं मदद
नियमित व्यायाम ,संतुलित आहार और पर्याप्त नींद लेकर मेंटल हेल्थ ठीक करें