थम नहीं रही महंगाई की मार, 4.43 प्रतिशत बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंची

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मार्च 2017 में थोक महंगाई दर 5.11% थी। अप्रैल से मई के दौरान सब्जियां और पेट्रोल -डीजल ज्यादा महंगे हुए हैं। मई महीने में थोक मूल्य आधारित महंगाई बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 4.43 प्रतिशत पर पहुंच गयी, इस बीच उद्योग जगत ने सरकार से ईंधन की कीमतें अंकुश में रखने की मांग उठाई है, थोक मुद्रास्फीति अप्रैल महीने में 3.18 प्रतिशत तथा पिछले साल मई महीने में 2.26 प्रतिशत थी | थोक महंगाई दर से पहले आए आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधार (CPI) महंगाई मई में 4.87 फीसदी पर पहुंच गई, अप्रैल महीने में यह 4.58 फीसदी रही थी, खुदरा महंगाई दर बढ़ने के लिए सब्ज‍ियों और दालों के दाम में बढ़ोतरी को वजह बताया गया है |

 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मई में खाद्य पदार्थों की थोक मुद्रास्फीति अप्रैल के 0.87 प्रतिशत से बढ़कर 1.60 प्रतिशत रही, सब्जियों के थोक मूल्य एक साल पहले से 2.51 प्रतिशत ऊपर थे, अप्रैल महीने में सब्जियों के थोक भाव साल भर पहले से 0.89 प्रतिशत नीचे थे, मई में ईंधन एवं बिजली श्रेणी में भी मुद्रास्फीति 11.22 प्रतिशत पर पहुंच गयी, अप्रैल में यह 7.85 प्रतिशत थी | मई महीने में खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर भी बढ़ी है. महीने दर महीने के आधार पर मई में खाद्य थोक महंगाई दर 0.67 फीसदी से बढ़कर 1.12 फीसदी पर पहुंच गई |

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वहीं, मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई की बात करें, तो महीने दर महीने के आधार पर इसमें भी बढ़ोतरी हुई है, यह 3.11 फीसदी से बढ़कर 3.73 फीसदी पर पहुंच गई है, प्राइमरी आर्ट‍िकल्स की थोक महंगाई को देखें, तो पिछले महीने इसमें भी भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है, यह 1.41 फीसदी से बढ़कर 3.16 फीसदी रही है, वहीं, बिजली और ईंधन की थोक महंगाई महीने दर महीने आधार पर 7.85 फीसदी से बढ़कर 11.22 फीसदी पर पहुंच गई है |

 

आलू के भाव अप्रैल में एक साल पहले से 67.94 प्रतिशत ऊंचे चल रहे थे, मई में आलू का भाव एक साल पहले से 81.93 प्रतिशत ऊंचा हो गया, आलोच्य माह के दौरान फलों के वर्ग में महंगाई दर 15.40 प्रतिशत रही, दालों के भाव 21.13 प्रतिशत गिरे, नए आंकड़ों के आधार पर मार्च की थोक मुद्रास्फीति को 2.47 प्रतिशत के प्रारंभिक आकलन से संशोधित कर 2.74 प्रतिशत कर दिया गया |

 

इससे पहले इसी सप्ताह जारी आंकड़े में खुदरा महंगाई भी मई माह में बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 4.87 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी, इस बीच उद्योग संगठन एसोचैम ने सरकार से ईंधन कीमतें नियंत्रित करने की मांग की है, उसने कहा कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से आयात खर्च प्रभावित हो सकता है, जिसका विनिमय दर भी असर हो सकता है | एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा, ‘इनके अलावा इसका उद्योग जगत की लागत पर भी नकारात्मक असर हो सकता है, जिन्हें पहले ही मुनाफे में कमी का सामना करना पड़ रहा है |