गीत : कारी बदरिया मा सूरज तड़पे सीस पे छाई है घमछैयाँ, आ जाओ मोरे प्यारे सइयां

….गीत….

dark-clouds

कारी   बदरिया  मा  सूरज   तड़पे   सीस  पे   छाई   है  घमछैयाँ,

आ जाओ मोरे प्यारे सइयां।

रात  डसत  दिन  भाला  कोंचत  अंग  अंग  में  अकड़न  है,

आहों  में   बंदी  हो  गई  साँसें   हृदय  बिन  अब धड़कन है,

आओ   खोलो   सारे   बंधन   थाम  लो   सजना   गोरी   बहियाँ।

आ जाओ मोरे प्यारे सइयां।

नादिया  गन्दी  पट  गये  कूएँ  न  पनघट  है न पनिहारिन,

सखियां  तीखे  ताने  मारें   फुफ्कारें   जइसन  हो नागिन,

अब  तो   संगी   हमरी  बन  गई  अपनी  देंह  की  बस  परछइयां,

आ जाओ मोरे प्यारे सइयां।

जे  देखत  है  भौजी  पुकारे  लाज  बचाऊँ  कइसे सइयां,

पायल छोड़  चालों रहियां  तो कैसे  छिपाऊं गोरी बहियाँ,

गांव  के   लंपट  बदनजरे  सब  ताकत  हैं  अब  हमरी  जवनियाँ,

आ जाओ मोरे प्यारे सइयां।

सावन मास न काटे कटत है लय लो हमरी थोड़ी खबरिया,

उजड़ी  उजड़ी  दिल  की आसें  सूनी  सूनी  लागे दुअरिया,

राह  में  बैठी  नयन   बिछाए  आओ   खिले  फिर  से  अग्नाइयाँ,

आ जाओ मोरे प्यारे सइयां।

कारी   बदरिया  मा  सूरज   तड़पे   सीस  पे   छाई   है  घमछैयाँ,

आ जाओ मोरे प्यारे सइयां।

मेहदी अब्बास रिज़वी

  ” मेहदी हललौरी “