अंशदीप सिंह भाटिया पगड़ी की जंग जीतकर ट्रम्प की सुरक्षा दस्ते में हुए शामिल

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अंशदीप सिंह भाटिया का जन्म लुधियाना में हुआ था । उनका परिवार 1984 सिख दंगा के वक्त कानपुर से लुधियाना आ गया था। सिख दंगे के दौरान कानपुर के बर्रा के केडीए कॉलोनी में भीड़ की तरफ से किए गए जानलेवा हमले में उनके चाचा और एक रिश्तेदार की मौत हो गई थी। उनकी फूआ की शादी नवंबर के दूसरे हफ्ते में तय थी और पूरा परिवार उसके इंतजाम में व्यस्त था। हमले में अंशदीप के पिता देवेन्द्र सिंह भी घायल हुए और उन्हें तीन गोलियां लगी थी। पंजाब एंड सिंध बैंक में उनके दादा अमरीक सिंह भाटिया ने लुधिया नें अपना ट्रांसफर ले लिया। उनके पिता का कानपुर में दवाई का कारोबार था। उन्होंने लुधियाना में शादी की और परिवार के साथ अमेरिका चले गए। उस वक्त अंशदीप सिर्फ 10 साल के थे।

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अंशदीप वो पहले सिख हैं जिन्हे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की सुरक्षा में तैनात गार्ड दस्‍ते में शामिल किया गया है। अंशदीप ने इस सुरक्षा दस्ते में जगह पाई है। लेकिन उनके लिए यह सब इतना आसान नहीं था। उन्होंने अपनी वेशभूषा में बदलाव ना करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी है। यूएस प्रेसीडेंट के सुरक्षा दस्ते के लिए अंशदीप का चयन व्हाइट हाउस ने पहले ही कर लिया था। लेकिन पगड़ी पहनने की वजह से उन्हें ड्यूटी पर बहाल नहीं किया जा रहा था।

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अमेरिकी प्रोटोकोल के मुताबिक, राष्ट्रपति के सुरक्षा गार्डों को सामान्य वेशभूषा में ही दिखना चाहिए। जब अंशदीप पर उनकी पगड़ी को लेकर शर्ते रखी गई तो उन्होंने वहां की अदालत का दरवाजा खटखटाया और अदालत ने अंशदीप के हक़ में फैसला सुनाया। अदालत ने अंशदीप को जल्द से जल्द ड्यूटी पर बहाल करने का आदेश दिया। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्‍हें इसी सप्‍ताह एक समारोह में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की सुरक्षा के तैनात गार्ड दस्‍ते में शामिल कर लिया गया। साथ ही साथ वह ऐसे पहले सिख भी बन गए हैं, जो पूरी शिनाख्‍त के साथ सुरक्षा फ्लीट में शामिल हुए हैं। इससे परिवार बहुत खुश है। अंशदीप ने अपने परिवार का सर गर्व से उठा दिया है।