सरकारी दस्तावेजों में माँ का नाम जोड़ने के लिए किये गए कठिन संघर्ष

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
आज समाज में अभी भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो पूर्णकालीन विचारो के हैं . जो आज भी समाज को लेकर चलते हैं …हाँ माना की हम सभी से समाज शुरू होता हैं और हम सभी समाज का ही एक हिस्सा हैं .क्योकि जब हम समाज में रहते हैं तो सभी नियमो व कानूनों का भी पालन करना होगा . लेकिन आज के ज़माने में माँ नाम का शब्द सुनते हैं “घर की चार दीवारी में रहने वाली वो महिला जो चूल्हा चौका संभालती हैं ..और उसकी देखभाल करती हैं ऐसे बहुत सी बाते जहन में आती हैं .लेकिन उनकी भूमिका में यही ज़िम्मेदारियाँ कर्तव्य के नाम पर जोड़ दी जाती हैं.लेकिन जब माँ से बच्चों की पहचान की बात आती है, तो वो दस्तावेज़ों से कही खो जाती हैं .

मद्रास हाई कोर्ट में हाल ही में एक जनहित याचिका डाली गई. इस याचिका में कोर्ट को सरकारी फ़ॉर्म, दस्तावेज़, शपथ-पत्र, सर्टिफिकेट, लाइसेंस और अर्ज़ियों में माँ का नाम शामिल किए जाने का निर्देश देने की अपील की गई है.याचिकाकर्ता का कहना है कि लोगों की पहचान केवल पिता के नाम से ही नहीं, बल्कि माँ के नाम से भी होनी चाहिए, क्योंकि एक बच्चे की ज़िंदगी में दोनों की बराबर ज़िम्मेदारी होती है.

“इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने संबंधित मंत्रालय/प्राधिकरणों को नोटिस जारी किया है. इस मामले की सुनवाई इसी साल के नवंबर महीने में होगी.”

माँ की पिता से ज़्यादा भूमिका…
पर्यावरण मुद्दों पर विशेषज्ञ के तौर पर पहचाने और जाने “एक बच्चे को पैदा करने में माँ की भूमिका 99 फ़ीसदी होती है और उसकी तुलना में पिता की भूमिका देखेंगे तो वो काफ़ी सीमित है. लेकिन क्या बच्चे की पहचान कभी भी माँ से की जाती है. नहीं. बल्कि माँ को भी ऐसे ही ट्रेन कर दिया जाता है कि बच्चा पिता के नाम से ही जाना जाए और वो उसमें फर्क्र महसूस करे.” आगे बताते हैं कि मां की तलाश में स्वीडन से सूरत तक का सफ़र . लेकिन जब माँ को इस बारे में बताया तो उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?

माँ का नाम शामिल करने की लड़ाई…
ये पहचान और बराबरी के लिए संघर्ष का हिस्सा है. बेटा और वंश ये शब्द अभी भी भारतीय समाज में रचे बसे हुए हैं. यह एक पितृसत्तात्मक सोच है, जो बरसों से चली आ रही है.बच्चे को पिता के नाम से जाना जाता है जैसे बच्चे से सवाल पूछा जाता है कि आप किसके बच्चे हैं या पिता का नाम क्या है? किसी भी फ़ॉर्म में सबसे पहले पिता का नाम और पेशा पूछा जाता है, फिर माँ की बारी आती है.

अगर माँ कोई काम नहीं कर रही होती है, तो लिख दिया जाता है हाउस वाइफ़. लेकिन, क्या उनकी घर से शादी हुई है, जो वो हाउस वाइफ़ कहलाई जाती है? हालाँकि घर में रहने वाली माँ को होममेकर कहने का चलन भी है, लेकिन उनकी पहचान अभी भी खोई हुई है.

वो औरतें, जिनके बच्चे पैदा होने से पहले मर गए…
हालाँकि उन्हें इससे कोई मायूसी नहीं हुई, क्योंकि वो कहीं भी एक बच्चे के जीवन में पिता की छवि या उनकी अहमियत को कम नहीं बताना चाह रही थीं, बल्कि वो ये कोशिश कर रही थीं कि पिता की तरह माँ भी उतनी ही अहमयित रखती हैं और उन्हें ये हक़ मिलना चाहिए.

हर क्षेत्र में महिलाएँ, तो नाम क्यों नहीं?…
आज महिलाएँ हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं और अब केवल पुरुष ही घर चलाने का काम नहीं कर रहे, ऐसे में उनके महत्व को क्यों नहीं समझा जाता. वर्ष 2016 में विशाखापत्तनम में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ पाँचवें और अंतिम वनडे के लिए जब भारतीय खिलाड़ी मैदान पर उतरे थे, तो उनकी नीली जर्सी के पीछे सरनेम की बजाय खिलाड़ी की माँ का नाम लिखा था.जिसकी काफ़ी सराहना हुई थी. लेकिन ऐसी मुहिम अचानक दिखती है और फिर ग़ायब हो जाती है.

एक सिंगल मदर के पिता बनने की कहानी…
वे हर फ़ॉर्म में माँ का नाम शामिल किए जाने की वकालत करती हैं.

सिंगल मदर्स को बच्चे के पिता का नाम देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. पासपोर्ट के बाद पैन कार्ड के नियमों में भी सिंगल मदर के लिए बदलाव किए गए हैं.सिंगल मदर में वे महिलाएँ हैं, जो बिनब्याही माँ, सेक्स वर्कर, सरोगेट मदर्स, रेप सर्वाइवर, बच्चे जिन्हें पिता ने छोड़ दिया है और जिनके आइवीएफ़ तकनीक के ज़रिए पैदा हुए बच्चें हैं

“हमारा समाज ऐसे ही चला आ रहा है. एक बच्चे का सारा काम माँ ही करती है. लेकिन पिता के नाम से सारी पहचान जोड़ी जाती रही हैं और कोई सिस्टम बदलना नहीं चाहता है.”

मद्रास हाई कोर्ट में माँ के नाम को लेकर डाली गई याचिका के सवाल पर वे कहते हैं इसमें मूलभूत बदलावों की ज़रूरत है. उनके अनुसार, ”कोई भी हमारे स्टेच्यूटेरी फॉर्म या क़ानूनी ढाँचों को असंवैधानिक होने की चुनौती नहीं देता, जो पितृसत्तात्मक सरकार ने ही बनाए हैं. ये पूछा जाता है कि आपके पिता या पति का नाम क्या है? क्यों कोई मां का नाम नहीं पूछता. ये सीधे तौर पर मूलभूत अधिकार का उल्लघंन है.वे कहते हैं कि हर फ़ॉर्म में माँ और पिता का नाम और पति और पत्नी दोनों के नाम होने चाहिए.