बचपन के नामों की होती है अपनी अलग ही पहचान ; अपनेपन का होता है अहसास ,


डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

  • पहले बचपन में हम सभी के बहुत प्यारे नाम रखे जाते थे और उसी नाम से हमारे अपने कभी कभी बुलाते भी हैं क्योकि उस नाम से बहुत यादे जुड़ी हुई होती हैं। बचपन के नाम में एक अहसास होता हैं। क्योकि जब नाम बड़ा होता हैं तो उसी नाम को प्यार से बुलाने के लिए उसे छोटा कर दिया जाता था और अभी भी उसी नाम को छोटा करके बुलाया जाता था। माता-पिता अपने बच्चों के नाम को छोटा करके या फिर प्यार से बुलाने के लिए कई नाम रख देते हैं। जैसे पप्पू, राजू, चुन्नू, मुन्नु, गिल्लू, टुन्नू आदि। इन नामों की एक अलग ही महिमा होती है। बचपन में दोस्त एक-दूसरे को छोटे नामों से ही पुकारते हैं। धीरे-धीरे समझदारी आती है। तो फिर असली नाम सामने आ जाता है।

  • उम्र के बाद इंसान ऐसे शहर में पहुंच जाता है, जहां उसे उसके मूल नाम या उपनाम से ही जाना जाता है। यहां नाम नहीं, बल्कि उसके कार्यो से उसकी पहचान होती है। नाम में क्या रखा है, कहने वाले यदि घर के नामों पर गौर करें तो पाएंगे कि उस नाम में जो आत्मीयता है, जो अपनापन है, वह अन्य किसी नाम में नहीं। वह छोटा-सा नाम ही उन दिनों हमारी पहचान हुआ करता था। हममें से हर किसी का कोई न कोई छोटा-सा नाम होता ही है। अब भले ही उसका प्रयोग कोई नहीं करता, पर मन के भीतर वह नाम अब भी बसा नज़र आ जाता है। बचपन के नाम से पीछा छूटा तो उसके बाद हमें कई नामों से संबोधित किया गया। कभी पद, तो कभी उपनाम या फिर नाम के साथ जी या सर लगाकर, पर बचपन के नाम में जो मिठास थी, वह बाकी के नामों में नहीं रही।

  • आज नाम के साथ हम भी कहीं गुम हो रहे हैं। आधार कार्ड का नाम, बैंक एकाउंट का नाम या फिर जिस नाम पर पेंशन आ रही है, ये सारे नाम भले ही जीवित होने का प्रमाण पत्र माने जाते हों , पर बचपन के नाम की ऊर्जा अब कहीं दिखाई नहीं देती। उस नाम की कोई प्रामाणिकता नहीं है, फिर भी उस नाम पर केवल अपनों का ही हक हुआ करता था। मंच पर कभी यादों की गठरी खोलते हुए हम बता भी देते हैं अपने बचपन का नाम। बड़ा अच्छा लगता है उस समय बचपन को जीते हुए। बाद में उम्र हम पर हावी हो जाती है। सुस्त कदमों से लाठी के सहारे चलते हुए वह नाम धीरे-धीरे विलीन होने लगता है। फिर नए नाम बाबूजी या अम्मा , अंकल जी या आंटी जी ,चाचा जी , चाची जी , ताऊ जी , ताई जी , दादू या दादी फिर नानू ,नानी के सहारे जिंदगी कटने लगती है।