Home  मनोरंजन  दिल  शिकस्ता  शौक़  से  आराम से रुक  जाएगा, रेशमी ज़ुल्फ़ों का साया जिस जगह मिल जायेगा 
                               दिल  शिकस्ता  शौक़  से  आराम से रुक  जाएगा, रेशमी ज़ुल्फ़ों का साया जिस जगह मिल जायेगा
                                Sep 09, 2018
                                                                
                               
                               
                                
दिल  शिकस्ता  शौक़  से  आराम से रुक  जाएगा,
रेशमी ज़ुल्फ़ों का साया जिस जगह मिल जायेगा।
नामाबर  आता  नहीं  पर  दिल  मेरा  कहता  सदा,
इक  परिंदा  आयेगा   पैग़ाम   उन  का  लायेगा।
 
अए   मेरे   महबूब   आओ   तेरे   इस्तेक़बाल   में,
यह  ज़मीं उठ जाये गी यह आसमां झुक जाये गा।
कोई  भी  आता  नहीं  है  मेरी   ग़ुरबत  देख  कर,
सोंचता  हो  गा यहां  पर आ के  क्या वह पाए गा।
 
ख़स्ता तन  है  क़ब्र में और बस कफ़न रहबर मेरा,
सोंचना क्या  मेरा  रहबर  किस तरफ़ ले जाये गा।
आईने   से   दूर    रह   कर   देखता  रहता  हूँ  मैं,
मुझ को देखे गा  अगर तो ख़ुद  से ही शरमाये गा।
 
इश्क़ के चलते  चाराग़-ए  सहर बन कर रह गया,
हंसती  है  बादे  सबा  कुछ  दम  में बुझ जाये गा।
क़ब्र  के   तख़्ते  लचक  कर  टूट  न  जाएं  कहीं,
आंसुओं  के  फूल  वह जब  क़ब्र पर बरसाए गा।
इश्क़  के  दरिया  में ‘ मेहदी ‘  तैरना  आसां  नहीं,
आग के  दरिया  में गर तू जाये गा जल जाये गा।
मेहदी अब्बास रिज़वी
  ” मेहदी हललौरी “