Home Breaking News राज्य सरकार की संकीर्णता एवं तुष्टीकरण से कोरोना के विरुद्ध संघर्ष कमजोर होने की संभावना–किरण माहेश्वरी
राज्य सरकार की संकीर्णता एवं तुष्टीकरण से कोरोना के विरुद्ध संघर्ष कमजोर होने की संभावना–किरण माहेश्वरी
Apr 18, 2020

विधायक ने कोरोना संक्रमितों की सूची में से तबलीगी जमात से सम्बंधित सूचना हटाने पर राज्य सरकार की आलोचना व कहा कि इससे स्वास्थ्यकर्मियों को पहुंच सकती है हानि
रिपोर्ट :-ब्यूरो हेड(राहुल भारद्वाज)
जयपुर :- कोरोना संकट के दौरान राज्य सरकार के साथ मिलकर काम कर रही भाजपा अब व्यवस्थागत खामियों को लेकर सरकार पर भी जुबानी हमला भी बोल रही है। विधायक किरण माहेश्वरी ने कहा है राजस्थान सरकार की राजनीतिक संकीर्णता एवं तुष्टीकरण से कोरोना महामारी के विरुद्ध संघर्ष को कमजोर कर रही है ।माहेश्वरी ने कहा कि उन्हें कई गांवों से शिकायतें मिली है कि पात्र एवं निर्धन व्यक्तियों को राहत सामग्री नहीं दी जा रही है। खाद्य सुरक्षा से वंचित निर्धन परिवारों के चयन के मानदंडों को भी सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। राजसमंद व रेलमगरा पंचायत समिति में चयनित नागरिकों की संख्या अत्यंत कम है। राजसमंद पंचायत समिति में तो मात्र 443 व्यक्तियों का ही चयन किया गया है।
विधायक किरण माहेश्वरी ने कोरोना संक्रमितों की सूचना में से तबलीगी जमात से संबंधित सूचना हटाने की भी आलोचना की और कहा कि इससे स्वास्थ्य कर्मियों को हानि पहुंच सकती है। मुख्यमंत्री प्रतिदिन केंद्र सरकार पर मिथ्या आरोप लगाने में व्यस्त हैं। किरण माहेश्वरी ने बताया कि गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों में राज्य सरकारें अपने स्तर पर बड़ी राहत दे रही है। राजस्थान में सरकार के पास जिला खनिज प्रतिष्ठान डीएमएफटी के हजारों करोड़ो रुपए जमा है। बार-बार मांग करने पर भी इसका उपयोग राहत कार्यों में नहीं किया जा रहा है।
विधायक ने कहा कि पानी एवं बिजली के बिलों को माफ करने के लिए भी प्रदेश के कई संगठनों एवं नागरिकों ने आवाज उठाई है किंतु राज्य सरकार इस पर मौन है। राहत सामग्री में अनाज के अतिरिक्त दाल, नमक, चीनी, चावल, मसाले आदि दिए जाने की आवश्यकता है। राजस्थान में भोजन एवं खाद्य सामग्री वितरण लगभग दानवीर एवं समाजसेवियों पर निर्भर है। गुजरात सरकार अपने स्तर पर अनाज के अतिरिक्त इस प्रकार की आवश्यक सामग्री का वितरण कर रही है। माहेश्वरी ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि प्रशासन को राजनीतिक दबाव से मुक्त करें और यथार्थ में असहाय एवं अभावग्रस्त परिवारों तक राहत पहुंचाने की व्यवस्था करवाएं।