जाने क्यों मनाया जाता है फ्रेंडशिप डे ,कब और कहाँ से हुई शुरुआत

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आज फ्रेंडशिपडे है मतलब दोस्तों का दिन अगर बात की जाये तो अगर अपने परिवार वालो के बाद किसी पे सबसे ज्यादा भरोसा करते है तो वो सिर्फ एक सच्चा दोस्त होता है| जिसके साथ हम वो सारी बातें शेयर कर सकते है| जो बातें कई बार हम अपने परिवार वालो के साथ भी नहीं शेयर कर पाते हैं| दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसे खून के रिश्ते की जरूरत नहीं होती| जरा सोच कर देखिए बिना दोस्तों की जिंदगी कितनी बोरिंग सी लगती है| हम किसके साथ अपने दिल की बात शेयर करते और बातों-बातों में किसकी टांग खिंचते| हंसी-मजाक, रूठना- मनाना बस यही है दोस्ती| वैसे तो दोस्ती का कोई एक नहीं होता| लेकिन क्या आप जानते हैं.. फ्रेंडशिप डे आखिर अगस्त के पहले रविवार को ही क्यों मनाया जाता है| क्या आप जानते है फ्रेंडशिप डे की शुरुआत कब और कैसे हुई, नहीं कोई बात नहीं हम आपको बताते है| दोस्ती के प्रतीक के रूप में मनाए जाने वाले इस दिन की शुरुआत साल 1919 में सबसे पहले हॉलमार्क कार्ड के संस्थापक जोस हॉल ने दोस्ती मनाने का सुझाव दिया था|

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1935 में पहली बार यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस ने अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाने की घोषणा की थी| इसे सबसे पहले अमेरिका में मनाया गया था| इस मौके पर दोस्त एक दूसरे को फ्रेंडशिप डे विश करते है| उसके बाद एक दूसरे को फ्रेंडशिप बैंड और गिफ्ट एक दूसरे के साथ शेयर करते है | आपको बताते चले कि साल 1997 में मिल्न के कार्टून किरदार विन्नी द पूह को संयुक्त राष्ट्र ने दोस्ती का अंतराष्ट्रीय दूत चुना| इतना ही नहीं भारत में फ्रेंडशिप डे अगस्त के पहले सप्ताह में रविवार को मनाया जाता है| लेकिन दक्षिण अमेरिकी देशों में जुलाई महीने को काफी पावन माना जाता है| इसलिए जुलाई के अंत में ही इस दिन को मनाया जाता है| बांग्लादेश और मलेशिया में डिजिटल कम्यूनिकेशंस के तहत यह दिन ज्यादा चर्चित हो गया है| यूनाइटेड नेशंस ने भी इस दिन पर अपनी मुहर लगा दी थी|

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आपको बता दे कि आज से करीब 60 साल पहले सन 1958 में फ्रेंडशिप डे को पहली बार अंतराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हुई थी| जब दक्षिण अमेरिका के कई देश खासतौर पर परागवे में फ्रेंडशिप डे मनाया गया| आपको बता दे कि फ्रेंडशिप डे को सिर्फ आम इंसान ही नहीं धूम धाम से मानते है| बल्कि बॉलीवुड में भी इस रिश्ते को खूब हरसो उल्लास से मनाया जाता है| जिस पर बेहतरीन फिल्म बनाई गई है| इनमें खास है:- ‘दोस्ती’, आनंद, शोले ,याराना और दिल चाहता है| दोस्ती में कमाल की बात ये है कि इसका कोई मजहब नहीं होता| हम चाहे किसी से भी दोस्ती कर सकते हैं. बिना किसी बंधन के हम किसी को भी अपना दोस्त बना सकते हैं|