प्लाज्मा की जरूरत अब कंप्यूटर करेगा तय

 संवाददाता अमित पांडेय

रीडर टाइम्स

1- हर किसी मरीज को नहीं चढ़ाया जा सकेगा प्लाज्मा

2- मरीज का कोड निकलने के बाद ही मिल पाएगी प्लाज्मा की डोज

लखनऊ : कोविड-19 के भीषण प्रकोप में सारा देश झुलस रहा है l लाइलाज कोरोना महामारी में प्लाज्मा थेरेपी आशा की नई किरण जैसी दिखाई दी है  l सारे विश्व समेत भारत में प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल भी हो रहा है और इस थैरेपी के इस्तेमाल के सकारात्मक असर भी सामने आए हैं लेकिन अब करोना संक्रमितों के इलाज में प्लाज्मा का इस्तेमाल आईसीएमआर की गाइड लाइन के अनुसार ही किया जा सकेगा l इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की नई गाइडलाइन के अनुसार अब प्लाज्मा की डोज मरीज के परिजन और इलाज कर रहे डॉक्टर की बजाय आईसीएमआर का कंप्यूटर निर्धारित करेगा l इस नई प्रक्रिया में मरीज के नाम की जगह उसका एक कोड निर्धारित किया जाएगा l जिसे रेंडम बेस्ट तरीके से कंप्यूटर द्वारा निकाला जाएगा जिसका कोड निकलेगा उसी मरीज को प्लाज्मा की डोज दी जा सकेगी l किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ तूलिका चंद्रा ने भास्कर से बातचीत के दौरान बताया कि “प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल चल रहा है और इसके बेहद  बेहतर परिणाम हमें प्राप्त हो रहे हैं lअब आईसीएमआर ने इसके लिए जो गाइडलाइन जारी की है हमने उसी के अनुसार कार्य शुरू कर दिया है जिस मरीज का कोड आता है हम उसी को प्लाज्मा ट्रांसफ्यूज करते हैं l”

इस नए नियम में चिकित्सा संस्थानों में भर्ती मरीजों का एक पेशेंट आईडी कोड जनरेट किया जाता है l और उसे आईसीएमआर के पोर्टल पर भेज दिया जाता है l आईसीएमआर का कंप्यूटर रेंडम तरीके से कोड आवंटित कर देता है l जिस मरीज का कोड आता है उसे ही प्लाज्मा थेरेपी का लाभ मिल पाता है l इस नई गाइडलाइन के तहत अब प्लाज्मा मरीज की आवश्यकता के अनुसार ना मिलकर उसे नियम के अनुसार ही प्राप्त हो पाएगा l साथ ही इलाज कर रहे डॉक्टर की भूमिका इस मामले में नगण्य ही हो जाएगी जबकि आज से पहले डॉक्टर ही मरीज की जरूरत के हिसाब से इलाज मुहैया कराते रहे हैं l