मनरेगा योजना बनी मजदूरों का सहारा

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

महात्मा गाँधी राष्टीय ग्रामीण योजना गारंटी अधिनियम के तहत गांव के लोगो को मिल रहे काम से आकड़ो में मई से इजाफा हुआ हैं। केंद्रीय विकास मंत्रालय के द्वारा चलाई गयी स्कीम के द्वारा बीते महीने मई में इस साल ज्यादातर लोगो को 73 फीसदी काम ज्यादा मिला हैं। कोरोना महामारी के संकट काल में मजदूरों के लिए मनरेगा कार्य बहुत बड़ा सहारा बना हैं। और इस योजना के शुरू होने से बहुत से ग्रामीण लोगो को फिर से जीवन जीना का मौका मिला हैं।

कोरोना संकट काल के चलते महानगरों से प्रवासी मजदूरों के पलायन के बाद गावो में ग्रामीणवासिओ के लिए रोजी रोटी की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए सरकार ने मनरेगा योजना पर अधिक बल दिया हैं। पहले इस योजना में दिहाड़ी मजदूरों की दर 182 से 202 बढ़ा दिया गया हैं। और सरकार द्वारा इसका बजट भी 40,000 करोड़ कर दिया गया हैं।

पिछले जून में इसका औसत 3.35 करोड़ लोगो को रोजाना काम मिला। वही इस साल मई में औसत 2.51 करोड़ लोगो को मनरेगा के तहत मनरेगा काम मिला। जो पिछले साल जून के आंकड़े 1.45 करोड़ से 73 फीसदी अधिक हैं।

गांव के ग्रामीण निवासिओं को क्षेत्र में काम करने इच्छुक लोगो को साल में100 दिन रोजगार की गारंटी दी जाएगी । राष्ट्रीय ग्रामीण योजना गारंटी (नरेगा) नाम से 2006से शासन काल में शुरू हुई इस योजना का नाम 2009 में बदलकर कर इसे महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना गारंटी अधिनियम (मनरेगा ) रख दिया गया।