किशोरों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए पढ़े एक्सपर्ट की राय

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

कोरोना काल में किशोरों में मानसिक तनाव ज्यादा हो रहा हैं। ज्यादातर 13 से 18 साल की उम्र में से एक किशोर या किशोरी में अधिक जिज्ञासा के साथ तनाव बढ़ रहा हैं। लेकिन अगर इस तरह की बेचैनी वाली स्थिति से सावधानीपूर्वक नहीं निपटा जाए तो यह डिप्रेशन और आत्महत्या जैसी गंभीर समस्या को जन्म देती हैं। इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि वो बच्चो कि जिज्ञासा और उनकी भावनाओ को समझने के साथ ही उनकी भावनाओ के साझेदार बने। बच्चो में धीरे धीरे अच्छी सोच कि क्षमताएं जागरूक करने कि कोशिश करे। बड़े होते बच्चो को यह , समझाए कि कुछ भी करने से पहले छोटे छोटे लक्ष्य को तय कर उनको पूरा करने कि कोशिश कि जाए। क्योकि मुश्किल हालात में काम करने से आत्म विश्वास बढ़ता हैं। और जब मुश्किल हालात में काम करते हैं उन्हें बताये कि किसी भी काम करने से पहले क्षमता को धीरे धीरे विकसित करे। और सबसे जरुरी बात कि , क्षमता बढ़ाने के लिए खुद को किसी मुश्किल में न डाले ऐसी कोशिश करे। और वैसे भी आज कल तो बहुत से ऐसे मनोरंजन हैं कि बच्चो का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उनको जागरूक करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। अगर किशोर कोई ऐसा काम करने जा रहा हैं जिसमे उसे घबराहट हो रही हो तो उसे वो काम करने के लिए कहिये जिसमे उसे रूचि हो और मनपसंद काम करने कि सलाह दे।

क्योकि किसी परीक्षा प्रेजेंटेशन या महत्वपूर्ण कार्य करने से पहले ऐसी स्थिति का होना आम बात हैं। ऐसे समय में दोस्तों से फ़ोन पर बात करना या फिर कोई मनपसंद कॉमेडी फिल्म या सीरियल देखना व म्यूजिक सुनकर हो रही बैचेनी व घबराहट को दूर किया जा सकता हैं। चल रहे कोरोना काल के दौरान लागू लॉकडाउन से बच्चो के साथ ज्यादा समय बिताए ताकि वो अपनी बाते साझा करने के लिए संकोच न करे।

दूसरो से पहले खुद को समँझे कि कोशिश करे

माता पिता बच्चो को भावनाओ के साथ उन्हें समझये कि वह अपनी ताकत और कमजोरी को लिखे। अपने मजबूत पक्षों कि जानकारी होने से उनका आत्मविश्वास तो बढ़ेगा ही बाल्कि काम करने से पहले उहने अपनी कमजोरियों पर काम करने से बाहर निकलने का प्रयास करेगा। मानसिक रूप से एक संतुलित जीवन जीने के लिए सलाह भी दे कि उन्हें रोज कि दिनचर्या को व्यवस्थित तरीके से करने का प्रयास करे।