लाल बहादुर शास्त्री की एक आवाज पर ; देशवासियो ने छोड़ दिया एक वक़्त भोजन ,

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को आज पूरा देश याद कर रहा है। क्योकि लाल बहादुर शास्त्री का आज ही के दिन 1966 में तत्कालीन सोवियत संघ के उज्बेकिस्तान के ताशकंद में निधन हो गया था। शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देशवासियो को देकर पाकिस्तान को करारा व मुंहतोड़ जवाब दिया था। उनके ही नेतृत्व में भारत ने वर्ष 1965 की जंग में पाकिस्तान को शिकस्त दी थी। वे देश के ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिनकी एक आवाज पर पुरे देशवासियों ने एक वक्त का भोजन छोड़ दिया था,  लेकिन उनकी मौत की कहानी अब तक रहस्य बनी हुई है। पाकिस्तान को करारी हार देने के बाद शास्त्री पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध खत्म करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे और वहां से वह अपने देश कभी नहीं लौटे, उनका पार्थिव शरीर वापस आया था।

ताशकंद में शास्त्री जी की मौत या हत्या

लाल बहादुर शास्त्री की मौत आज भी एक रहस्य है। 10 जनवरी, 1966 को पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को रात 1: 32 पर उनकी मौत हो गई। बताया जाता है कि शास्त्री निधन से आधे घंटे पहले तक बिल्कुल ठीक थे, लेकिन फिर 15 से 20 मिनट में उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें इंट्रा-मस्कुलर इंजेक्शन दिया। इंजेक्शन देने के चंद मिनट बाद ही उनकी मौत हो गई।

आधिकारिक तौर पर कहा जाता है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। शास्त्री को दिल से जुड़ी बीमारी पहले से ही थी और 1959 में उन्हें एक हार्ट अटैक भी आया था। इसके बाद उनके परिजन और दोस्त उन्हें कम काम करने की सलाह देते थे, लेकिन 9 जून, 1964 को देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद उन पर काम का दबाव और ज्यादा बढ़ता ही चला गया, जबकि इसके इतर कुछ जानकारो के मुताबिक से दावा किया गया कि उनको साजिश तहत मारा गया था।

सोवियत पीएम और पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने दिया कंधा

शास्त्री के शव को दिल्ली लाने के लिए जब ताशकंद एयरपोर्ट पर ले जाया जा रहा था, तो रास्ते में सोवियत संघ, भारत और पाकिस्तान के झंडे झुके हुए थे। शास्त्री के ताबूत को कंधा देने वालों में सोवियत प्रधानमंत्री कोसिगिन और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान भी थे।

पत्नी का दावा, जहर देकर मारा गया

कुछ लोग दावा करते हैं कि जिस रात शास्त्री की मौत हुई, उस रात खाना उनके निजी सहायक रामनाथ ने नहीं बल्कि सोवियत रूस में भारतीय राजदूत टीएन कौल के कुक जान मोहम्मद ने पकाया था। खाना खाकर शास्त्री सोने चले गए थे। उनकी मौत के बाद शरीर के नीला पड़ने पर लोगों ने आशंका जताई थी कि शायद उनके खाने में जहर मिला दिया गया था। शव देखने के बाद उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने दावा किया था कि उनके पति को जहर देकर मारा गया। अगर दिल का दौरा पड़ा तो उनका शरीर नीला क्यों पड़ गया था ? उनके बेटे सुनील का भी कहना था कि उनके पिता की बॉडी पर नीले निशान थे।

बेहद सामान्य घर से देश की सत्ता संभालने तक का सफर तय करने वाले स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहुादुर शास्त्री की मौत के रूसी कनेक्शन, उनके शव का रंग बदलना और शव का पोस्टमार्टम न किया जाना, ऐसे कई सवाल हैं, जो सवाल खड़े करते रहे हैं। हालांकि, आज तक देशवासियों को यह पता नहीं चल सका कि उनकी मौत हुई थी या हत्या की गई थी।

इस बात पर भी उठते रहे हैं सवाल

शास्त्री की मौत पर संदेह इसलिए भी किया जाता है क्योंकि उनका पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया था।  कहा जाता है कि अगर उस समय पोस्टमार्टम कराया जाता, तो उनकी मौत की असली वजह सामने आ सकती थी। एक प्रधानमंत्री की अचानक मृत्यु हो यहाँ घटना आश्चर्यचकित हैं। क्योकि शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया जाना हमेशा ही संदेह के दायरे में रहा है।

1965 में अमेरिका ने दी थी गेहूं भेजना बंद करने की धमकी

जब साल 1965 में भारत पाकिस्तान के बीच जंग जारी थी, तभी अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने शास्त्री को धमकी दी थी कि अगर उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ जंग नहीं रोकी, तो अमेरिका जो गेहूं भेजता है, वो बंद कर देगा। उस वक्त भारत गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को ये बात चुभ गई। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि हम लोग एक वक्त का भोजन नहीं करेंगे। उससे अमेरिका से आने वाले गेहूं की जरूरत नहीं होगी। शास्त्री की अपील पर उस वक्त लाखों भारतीयों ने एक वक्त भोजन करना छोड़ दिया था।

पहले खुद पर लागू किया नियम 

देशवासियों से अपील करने से पहले शास्त्री ने खुद अपने घर में एक वक्त का भोजन नहीं खाया और न ही उनके परिवार ने भोजन खाया। वे देखना चाहते थे कि उनके बच्चे भूखे रह सकते हैं या नहीं। जब उन्होंने देख लिया कि वो और उनके बच्चे एक वक्त बिना खाना खाए रह सकते हैं, तब जाकर उन्होंने देशवासियों से की अपील |