सुकून और शांति देने वाले देश के सिपाही जवानो के बीच बढ़ा तनाव ; जाने क्यों ,

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

आज अगर हम सब लोगो रात को सुकून की नींद सो पाते हैं तो सिर्फ सीमा पर मौजूद जवानों की वजह से। देश की सीमा पर भारतीय सेना के जवान हमेशा डटे रहते हैं। और अक्सर हमें सीमा विवादों या फिर पड़ोसी मुल्क की नापाक हरकतों की वजह से अपने जवानों को खोना पड़ता है, लेकिन हालिया रक्षा मंत्रालय के सबसे बड़े थिंक टैंक यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेना को हर साल दुश्मन की कार्रवाई के मुकाबले आत्महत्या, आपसी विवाद और अप्रिय घटनाओं के चलते अपने ज्यादा सैनिकों को खोना पड़ पड़ता है। किए गए अध्ययन के अनुसार सेना हर साल खुदकुशी एवं अन्य घटनाओं के चलते करीब 100 से ज्यादा सैनिक यानी हर तीसरे दिन एक सैनिक को खो रही है। इसके अलावा तनाव के चलते सैनिक उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी, मनोविकार, न्यूरोसिस जैसा अन्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इससे बड़े पदों पर तैनात अधिकारी भी अछूते नहीं हैं। भारतीय सशस्त्र सेनाओं की अपनी एक भिन्न कार्य संस्कृति है। यहां सभी के बीच सौहार्द की भावना बनी रहे इसके लिए संबद्धता और उत्तरदायित्व की समझ विकसित किए जाने का प्रावधान है।

आज के जवान पहले से कहीं ज्यादा शिक्षित और जागरूक होते हैं इसलिए अधिकारियों के लिए उनकी जरूरतें समझना जरूरी है। सेना के जवान नौकरी में मिलने वाले मानसिक दबावों के अलावा पारिवारिक समस्याओं, संपत्ति के विवाद, वित्तीय समस्याओं और वैवाहिक समस्याओं के कारण भी आत्महत्या कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों में चलाए जा रहे आतंकवाद निरोधी अभियानों में लंबे समय तक शामिल रहने के कारण भी जवान भारी दबाव में रहते हैं। कई बार तनाव इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि जवानों को आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ जाता है। आवश्यकता है कि इस समस्या से निपटने के लिए जवानों के रहने-खाने की व्यवस्था में सुधार के कदम उठाए जाने चाहिए। जवानों को परिवार के साथ रखने, आसानी से छुट्टियां देने और तुरंत शिकायत निवारण की व्यवस्था जैसी सुविधाओं में भी सुधार लाया जाना चाहिए। मेंटल वेलनेस वीक आयोजित किए जाने चाहिए।

जिसमें मनोवैज्ञानिकों, आर्ट ऑफ लीविंग, ध्यान विशेषज्ञों एवं योग शिक्षकों की मदद से जवानों और अफसरों को तनावमुक्त किया जा सके। इसके लिए सैन्य जवानों, अफसरों और जरूरत पड़ने पर उनके परिजनों को भी विशेष काउंसलिंग में शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही देशभक्ति से परिपूर्ण कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह आयोजित कर जवानों को गौरव का अहसास कराया जाना चाहिए। उन्हें यह कतई महसूस नहीं होने दिया जाना चाहिए कि उन्होंने सेना में आकर कोई गलती की है।